शहडोल: नहीं थम रहा बच्चों की मौत सिलसिला, फिर मासूमों को लापरवाही ने निगला, बावजूद इसके प्रदेश के सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बेखबर।
शहडोल: नहीं थम रहा बच्चों की मौत सिलसिला, फिर मासूमों को लापरवाही ने निगला, बावजूद इसके प्रदेश के सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बेखबर।
शहडोल/राजकमल पांडे। शहडोल जिला चिकित्सालय ना हुआ संभाग का मृत्यु केन्द्र हो गया, जहां कोई भी पहुंच जाए अपने जान गवां ही देता हैै. शहडोल जिला चिकित्सालय में पिछले 27 दिनों में 30 मासूमों की मौत हो चुकी है, जिसमें 24 जिला चिकित्सालय में ही दम तोड़े हैं. बावजूद इसके लापरवाह डाॅक्टरों पर प्रदेश के सीएम और स्वास्थ्य मंत्री मेहरबान हैं. तो वहीं दंत चिकित्सक को सिविल सर्जन बनाए जाने के खिलाफ दो बार सामूहिक इस्तीफे की पेशकश करने वाले 21 चिकित्सकों में से 7 डाॅक्टर छुट्टी पर चले गए हैं? वही ‘‘महिला रोग विशेेषज्ञ’’ डाॅ. डी.के. सिंह 12 दिसंबर से छुट्टी पर हैं. जानकारी के मुताबिक विरोध करने वालों की अगुवाई करने वाले डाॅ. डी.के. सिंह पर भी लापरवाही का आरोप लग चुका है. इस विरोध के परिणामस्वरूप पिछले 10 दिनों में जिला चिकित्सालय नवजातों ने दम तोड़ा चुके हैं. 27 नवम्बर से अब तक में यह 30 वीं मौत है. वहीं गुरूवार शाम सिविल सर्जन डाॅ. जीएस परिहार भी सीएमएचओ डाॅ. एम.एस. सागर को प्रभार सौंपकर एक सप्ताह के अवकाश पर चले गए हैं.
डाॅ. वी.के. बारिया छुट्टी पर
जिला चिकित्सालय शहडोल में लगातार हो रही बच्चों की मौत की वजह से सिविल सर्जन के पद से हटाए गए डाॅ.वी.के. बारिया ने 23 से 29 दिसंबर तक की सीएल का आवेदन दिया है. इसी तरह डाॅ. मनोज जायसवाल ने 23 से 25 दिसंबर तक डाॅ. सुनील स्थापक ने 23 से 27 दिसंबर तो डाॅ. बीआर प्रजापति 23 से 26 दिसंबर तक सीएल का आवेदन दिया है. और सबसे आश्चर्य जनक बात यह है कि डाॅ. मुकुंद चतुर्वेदी, डाॅ. आरती ताम्रकार व डाॅ. रेखा कारखुर जो अपने बेहतर इलाज के लिए जाने जाते हैं. वह भी सात दिन से मेडिकल अवकाश का आवेदन दे रखा है. अपितु सभी आवेदनों को सिविल सर्जन ने निरस्त कर चिकित्सकों को ड्यूटी पर लौटने का कहा, पर सिविल सर्जन के निर्देषों को दरकिनार बीते दिनों तक चिकित्सक, चिकित्सालय में उपस्थित नहीं हुए.
गौरतलब है कि जहां पिछले 27 दिनों में मासूमों की मौत का आंकड़ा 30 तक पहुंच गया है, तो संभवतः ऐसे आंकड़ो में इजाफा ही होगा जिसको लेकर प्रदेश के सीएम और स्वास्थ्य मंत्री गंभीर नहीं है. मासूम जिन्दगियों से खिलवाड में उतारू व इस्तीफे की पेशकश अडे डाॅक्टरों पर अगर समय रहते शासनिक-प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होती है. जिला चिकित्सालय मौत का कुंआ साबित हो जायेगा. मासूमों की चिंता न कर सिविल सर्जन के खिलाफ 21 डाॅक्टर की इस्तीफे की पेशकश दर्शाता है कि शहडोल जिला चिकित्सालय में मासूम मौत की हथेली में रखे हैं जिस पर प्रदेश के मुखिया और स्वास्थ्य मंत्री को अतिशीघ्र संज्ञान लेना चाहिए.