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सिवनी : आधी सदी से बाँध की राह देख रहे किसान : सर्वेक्षण और आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला

   सिवनी : आधी सदी से बाँध की राह देख रहे किसान : सर्वेक्षण और आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला

  •      फिर उठने लगी आदेगाँव क्षेत्र में “डाला-सिहोरा बाँध” की मांग   
  •    बाँध बन जाये तो 30-32 गांवों की 15000 एकड़ भूमि सिंचित व उन्नत हो जायेगी

      द लोकनीति डेस्क  सिवनी से महेंद्र सिंह नायक की रिपोर्ट 
    रहिमन पानी राखिए बिन सब सून, पानी गये न ऊबरे मोती मानुष चून। कवि रहीम का ये दोहा पानी की महत्ता और आवश्यकता दोनों को ही पूरी तरह सिद्ध करता है। पानी से ही कृषि है, अन्न है, जीवन है। पानी नहीं तो जीवन की कल्पना ही व्यर्थ है। यूँ तो प्रकृति वरदान रूप में पानी देती है, पर कभी-कभी हमें भी अपने लिए पानी जुटाना पड़ता है, संरक्षित करना पड़ता है। पानी जुटाने और रक्षित करने की ऐसी ही मांग पिछले 50 सालों से की जा रही है, लेकिन आधी सदी बीतने के बाद भी यह मांग ज्यों की त्यों है।
       यह कहानी है सिवनी जिले के लखनादौन तहसील अन्तर्गत आने वाले आदेगाँव क्षेत्र के डाला, सिहोरा, हिनौतिया, महुआटोला समेत लगभग 30-32 गांवों की। यहां के जनजीवन का मुख्य आधार कृषि है। कृषि भूमि अपेक्षाकृत उपजाऊ तो है, पर केवल वर्षा पर निर्भर और असंचित होने के कारण लगभग अनुपजाऊ की श्रेणी में ही आती है। कृषि भूमि क्षेत्रफल में तो पर्याप्त है, पर उत्पादन में अत्यधिक कम है। जानकारी मिलती है कि यह क्षेत्र मुख्यतया एक फसली है। खरीफ़ तो वर्षाजल में हो जाता है, पर रबी फसलें सिंचाई के अभाव में बहुत कम रह जाती हैं। यहां पर सिंचाई के साधनों में अल्पकालिक कुँये अथवा गिने चुने ट्यूबवेल ही हैं। कुल मिलाकर सिंचाई की सुविधा न होने से कृषि लाभ का साधन न होकर निर्वाह मात्र का साधन रह गया है। और तो और छोटे किसानों के लिए तो जीवन निर्वाह भी कठिन है। यहां पर एक अदद सिंचाई परियोजना की महती आवश्यकता है। यहाँ से गुजरने वाले बरसाती नाला “कुरमुंडा” में यदि बाँध बन जाये तो 30-32 गांवों की 15000 एकड़ भूमि सिंचित व उन्नत हो जायेगी। यही नहीं इससे क्षेत्र के भूजल स्तर में सुधार होगा, आसपास के सैकड़ों गांवों सहित कस्बाई आदेगाँव, लखनादौन तक पेयजल आपूर्ति हो सकेगी।

1971 में बाँध निर्माण हेतु सर्वे हो चुका है
बाँध निर्माण मांग समिति के वरिष्ठ एवं ग्राम महुआटोला के कृषक दयाशंकर राय ने “द लोकनीति” से विशेष चर्चा में बताया कि जोबानाला कुरमुंडा पर बाँध की मांग लगभग 50 साल पुरानी है। इस परियोजना के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह एवं सिंचाई मंत्री किशोरी लाल शुक्ल के कार्यकाल में वर्ष 1971 में सर्वेक्षण कार्य हुआ था। तब से ही स्थानीय कृषक समुदाय बाँध निर्माण की आस लगाए हुए हैं। पर वर्ष बीतते गए, सरकारें बदलती गईं लेकिन ये बाँध न बन सका। समय समय पर किसानों द्वारा मांग दोहराई गई, लेकिन आज तक मांग जस की तस है।

इसी सर्वे के बाकी बाँध बन चुके
राय ने आगे बताया कि वर्ष 1971 में इस डाला सिहोरा बाँध के साथ-साथ भीमगढ़, इमलिया, अटारी, झालौन आदि बाँधों का सर्वेक्षण हुआ था। कालांतर में ये सब बाँध बन गये और आज हजारों एकड़ भूमि की प्यास बुझा रहे हैं। केवल यही परियोजना धरातल पर नहीं उतर सकी है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कर चुके हैं घोषणा
वर्ष 2001-07 के दौरान क्षेत्रीय किसानों द्वारा लगातार बाँध की मांग को शासन प्रशासन तक रखा गया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लखनादौन प्रवास के समय भी किसानों ने अपनी मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। इस पर  चौहान ने ने मंच से अपने उद्बोधन में कहा कि इस बाँध परियोजना का शीघ्र सर्वे कराया जाएगा, उपयुक्त पाये जाने पर निर्माण कार्य प्रारंभ किया जायेगा।

वर्ष 2017-18 में हुआ था विशाल जनांदोलन, मतदान बहिष्कार की दी थी चेतावनी
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी जब मांग पर कोई कार्य नहीं हुआ तो किसानों ने व्यापक जनांदोलन का सहारा लिया। सिंचाई विभाग, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, कलेक्टर सबके नाम दर्जनों ज्ञापन सौंपे गए। किसान रैली निकाल कर तहसील कार्यालय लखनादौन में प्रदर्शन किया गया। यहां तक कि मांग न माने जाने पर आगामी विधानसभा-लोकसभा चुनावों में मतदान बहिष्कार की चेतावनी भी दी गई।  मतदान बहिष्कार की चेतावनी पर विधानसभा लखनादौन के विधायक  योगेन्द्र सिंह एवं मण्डला-सिवनी सांसद  फग्गन सिंह कुलस्ते ने उपस्थित होकर आश्वासन देते हुए कहा कि आपके बाँध की मांग जल्दी ही पूरी की जावेगी। इस आशय से सांसद द्वारा पत्राचार भी किया गया, पर मांग अभी भी मांग ही है।

फिर किसान एकजुट हो रहे, दोबारा उठायेंगे मांग
इतने वर्षों से बाँध की आस लगाए बैठे किसानों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। बढ़ती मंहगाई और कृषिगत घाटे ने उनके जीवन यापन पर ही प्रश्न उठा दिया है। यदि यह बाँध बन जाता है तो न केवल उनकी हजारों एकड़ भूमि सिंचित होगी, बल्कि क्षेत्र के भूजल स्तर में भी सुधार होगा। इससे आस पास के सैकड़ों गांवों सहित कस्बाई क्षेत्रों आदेगाँव-लखनादौन को पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। क्षेत्रीय किसानों का कहना है कि शासन प्रशासन ने अब तक हमारी मांग पर कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया है, केवल आश्वासन ही दिये हैं। अब इस मांग को पुनः पुरजोर और उग्र तरीके से उठाया जाएगा।

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