"नाथ" के"ज्योति"हुए, भाजपा के "सिंधिया" पढ़िए पूरी रिपोर्ट
मध्यप्रदेश में जारी सियासी उथल-पुथल के बीच क्षेत्र के महाराज कहे जाने वाले सिंधिया ने आखिर में बीजेपी के दामन को थाम ही लिया। सिंधिया के सदस्यता समारोह में बीजेपी का कोई बड़ा चेहरा उपस्थित नहीं था। इसका क्या मतलब निकाला जाए वह अलग बात है! हालांकि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें भाजपा ज्वाइन करने के लिए शुभकामनाएं दीं। जेपी नड्डा ने इसे पुराने इतिहास से जोड़ते हुए कहा कि यह पल बीजेपी के लिए गौरवान्वित करने वाला है। लेकिन क्या दिल से कांग्रेस को अलविदा कह पाए हैं सिंधिया ! क्योंकि अपने 5 मिनट के सदस्यता भाषण में उन्होंने कांग्रेस छोड़ने से होने वाली क्षति को बताया है !
क्या कहा सिंधिया ने
ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें अपने परिवार में आमंत्रित किया और एक स्थान दिया। उन्होंने आगे कहा की हमारे जीवन में 2 तारीख बहुत महत्वपूर्ण हैं। कहते हैं कि ऐसी कोई तारीख़ होती है जो जीवन को बदल कर रख देती है, उनमें से पहली तारीख थी 30 सितंबर 2001 जिस दिन मैंने अपनी पूज्य पिताजी को खोया था। यह जीवन बदलने का दिवस था मेरा। और फिर उसी के साथ मेरे जीवन की दूसरी बहुत महत्वपूर्ण तारीख़ 10 मार्च 2020 है , जो उनकी जीवन की 75 वीं वर्षगांठ है।
सिंधिया ने यह भी कहा कि मुझे बहुत ही क्षति पहुंची है। मैं बेहद दुखी हूं लेकिन समय के साथ इंसान को परिवर्तन करना चाहिए और कांग्रेस पार्टी जो पहले थी, वर्तमान में वह कांग्रेस पार्टी नहीं है या नहीं रही है। मेरा मन दुखी है क्योंकि हमने जो सपना बोया था वह सपना शायद साकार नहीं हो पा रहा है। 2018 में मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस सरकार आई थी तब हमने एक सपना देखा था। लेकिन 2020 तक वह सपना साकार होता दिखाई नहीं दे रहा है। 18 महीने सरकार चली लेकिन वह सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। मध्य प्रदेश में पिछला फसल का बोनस नहीं दिया गया, सत्याग्रह के लिए जो आंदोलन हमने छेड़ा था, आज भी मंदसौर के हजारों किसान अपने हक़ का इंतजार कर रहे हैं। युवाओ को रोजगार के अवसर नहीं मिल पाए, वचन पत्र में जो वादे किए गए थे उनको भी पूरा करने में मध्य प्रदेश कांग्रेस सरकार असफल रही। रोजगार तो उत्पन्न नहीं हो पाए लेकिन मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार जरूर उत्पन्न हो गया। मध्यप्रदेश में रेत माफिया चरम पर है और जब यह स्थिति उत्पन्न हुई तो मैं बेहद आहत हुआ। जब हमने देश और राज्य को आगे बढ़ाने की कोशिश की तो बहुत मुश्किलें आई जिससे मन बेहद आहत हुआ। तब मैंने यह निर्णय लिया कि अब आगे बढ़ना है और मुझे कोई दूसरा रास्ता देखना पड़ेगा। तब मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, गृह मंत्री अमित शाह जी के परिवार में शामिल होने का मौका मिला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो जनादेश मिला है, वह कार्य करने की वजह से, कार्य करने की क्षमता की वजह से। इसलिए मै भाजपा परिवार में शामिल होकर जन सेवा करने का संकल्प लिया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दिखाए हुए रास्ते पर, हमारे गृह मंत्री अमित शाह के दिखाए हुए रास्ते पर और हजारों सैकड़ों करोड़ों भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जनसेवा और देश के विकास में योगदान देने का अवसर मिला है।
कांग्रेस छोड़ने की वजह
अगर ध्यान से पढ़ें और समझें तो यह पता चलेगा कि सिंधिया ने अपने लिए पीसीसी अध्यक्ष या फिर राज्यसभा का टिकट को मांगा था। मगर कमलनाथ से लेकर कांग्रेस हाईकमान ने उनके मांग को नहीं माना। गौरतलब यह है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने उन्हें मिलने के लिए समय तक नहीं दिया, जिसके कारण वे दुखी तथा नाराज थे।
अब आगे क्या
सूत्रों की अगर मानें तो बीजेपी उन्हें कैबिनेट या फिर राज्यसभा का टिकट दे सकती है। मगर क्या होगा सिंधिया समर्थक विधायकों का जो एक स्वर में कहते नजर आते हैं कि वे सभी महाराज के साथ हैं ! क्या ये सभी 22 विधायक भाजपा में शामिल होंगे! यह तो भविष्य की कोख में है। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ कहतें नजर आ रहे हैं कि उनकी सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा मौजूद है और फ्लोर टेस्ट में वह बहुमत का आंकड़ा साबित कर देंगे। वहीं बीजेपी ने अपने सभी 106 विधायकों को हरियाणा शिफ्ट कर दिया है तो क्या इससे यह समझा जाए कि बीजेपी को भी अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है !