Rewa News Gautam :- रीवा जिले के हनुमना में आने वाली धान खरीदी केंद्र सेवा सहकारी समिति मर्यादित पाँती को दो पातीयों में बाँट दिया गया है। पाती क्रमांक 1 और पांती क्रमांक 2। खबर आ रही है कि पांती क्रमांक 1 में खरीदी मिसिरगवा गाँव में हो रही है। किसानो ने आरोप लगाया है कि इसकी सुध लेने न तो कोई प्रबंधक आया है न तो कोई प्रभारी।
न पानी की व्यवस्था न लकड़ी की
किसान यहाँ पिछले 8 – 10 दिनों से डेरा डाले हुए हैं पर उनका आरोप है की यहाँ किसी भी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं करवाई गयी है। समिति प्रबंधन केवल कागज के पन्नों पर चल रही है। यहाँ इस हद तक घपला हो रहा है कि व्यापारी लोग शासन के बोरे में अपने घर से हीं धान भरकर एवं वजन करवाकर भेज देते हैं । नियम है कि किसानो का धान ही शासन की बोरियों में जाएंगे लेकिन दलालों और व्यापारियों की मिलीभगत से व्यापारियों का धान उनके बारदाने से निकलकर शासन के बोरियों में भर दिए जातें हैं। पिछले 10 दिनों से कई किसान यहाँ डेरा ज़माएँ बैठे हैं उनको उम्मीद थी की सरकार का कोई आदमी उनकी सुध लेने आयेगा पर यहाँ दलालों के अलावा कोई नहीं है।
सिर्फ ख़ास लोगों से हो रही खरीदी
किसानो ने कहा कि वह 7 , 8 दिनों से वहां जमे हैं पर अभी तक उनकी धान की खरीदी नहीं की गयी। जबकी समिति प्रबंधक के जो खास लोग है उनकी खरीदी पहले हो जाती है एवं समित प्रबंधक के द्वारा किसानों से तीन से चार रुपए प्रति बोरी लिया जा रहा है। बारिश होने के बावजूद भी किसान समिति में अपनी धान लेकर बैठा रहता है, जबकी किसानों के द्वारा बताया गया की समिति प्रबंधक के द्वारा किसानों को डराया जाता है कि कोई किसान समिति प्रबंधक के खिलाफ अगर शिकायत करेगा तो उसकी धान खरीदी में महीनो का समय लग जाएगा। जिस कारण कोई भी किसान समिति प्रबंधक के खिलाफ शिकायत करने से घबराता है। धान खरीदी केंद्र में बारिश की वजह से कई टन धान को नुकसान पहुंचा है।
प्रदीप पटेल धरने पर
व्यापारियों के बारदानों की सिलाई तोडक़र शासन की सिलाई करते हुए का वीडियो मीडिया के कैमरे में कैद भी हो चूका है। किसानों के हित के लिए लगातार धरने पर बैठते आए मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल को जैसे ही इसकी जानकारी हुई कि समिति प्रबंधन द्वारा किसानों के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है वे तुरंत मौके पर पहुंचे और धरने पर बैठ गए। बड़ा सवाल तो यही उठता है अनुविभागीय अधिकारी किसके इशारे पर खेल खिलवा रहे हैं। इसका अंदाजा ना विधायक और ना किसान लगा पा रहे हैं। अब देखना है तो यह दिलचस्प है की विधायक के धरना बैठने पर आखिर क्या कार्यवाही होती है और कब तक।