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लखीमपुर अपडेट: आज पत्रकार रमन कश्यप की बेटी का जन्मदिन है, नवजोत सिंह सिद्धू आज से उठाएंगे बेटी की पढ़ाई का पूरा खर्च 

लखीमपुर अपडेट: आज पत्रकार रमन कश्यप की बेटी का जन्मदिन है, नवजोत सिंह सिद्धू आज से उठाएंगे बेटी की पढ़ाई का पूरा खर्च 

 

 लखीमपुर हिंसा के मामले में पत्रकार रमन सिंह की मौत हो गई. आज रमन सिंह की बेटी का जन्मदिन है. बेटी के जन्मदिन पर नवजोत सिंह सिद्धू ने बड़ा ऐलान किया है. सिद्धू ने रमन की बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाने की बात लिखकर दी है. बताते चलें कि सिद्धू कल से ही मौन धरने पर बैठे हैं.

 किन परिस्थितियों में हुई रमन कश्यप की मौत :-

 बीबीसी हिंदी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार लखीमपुर खीरी के निघासन क़स्बे के रहने वाले रमन कश्यप ने कुछ महीने पहले ही स्थानीय स्तर पर पत्रकारिता शुरू की थी. तिकुनिया में किसानों के प्रदर्शन को कवर करने के लिए वो निघासन के अन्य पत्रकारों के साथ दिन में क़रीब बारह बजे तिकुनिया पहुंचे थे.

 

बीबीसी ने उनके फ़ोन से कवरेज के दौरान रिकॉर्ड किए गए वीडियो देखे हैं. उन्होंने किसानों के पैदल मार्च, हेलीपैड पर किसानों के क़ब्ज़े और पुलिस की मौजूदगी के वीडियो बनाए हैं. उनके फ़ोन में गाड़ी के किसानों पर चढ़ने या इसके बाद का कोई वीडियो रिकॉर्ड नहीं है.

 

घटनास्थल पर उनके साथ मौजूद स्थानीय पत्रकार योगेश के मुताबिक़, जब किसानों पर गाड़ी चढ़ी उस समय रमन कश्यप बिलकुल उनके पास ही खड़े थे. योगेश बताते हैं, ''मैं, मेरे सहयोगी पत्रकार सुरजीत सिंह चानी एक साथ खड़े थे और रमन हमारे पीछे थे. जैसे ही गाड़ी आई पत्रकार साथी सुरजीत घायल हो गए. मेरा पूरा ध्यान उन पर चला गया. मैंने पीछे पलटकर देखा तो रमन दिखाई नहीं दिए.''

योगेश कहते हैं, 'सबकुछ इतनी तेज़ी से हुआ कि अफ़रा-तफ़री मच गई. जब रमन नहीं दिखे तो मैंने तीन बजकर आठ मिनट पर उनको फ़ोन किया तो फोन नहीं उठा. मैंने फिर फ़ोन किया तो किसी व्यक्ति ने फ़ोन उठाया और बताया कि ये फ़ोन उन्हें मिला है और उनसे लिया जा सकता है.''

 

रमन के साथ कवरेज पर मौजूद एक अन्य स्थानीय पत्रकार के मुताबिक़, जब वो नहीं दिखे तो उन्हें खोजने की कोशिश की. लेकिन वो नहीं मिले. बीबीसी ने घटना के समय के जो वीडियो देखे हैं उनके मुताबिक किसानों के बीच कारें दोपहर में तीन बजकर एक मिनट पर आई हैं.

 

योगेश ने अपने फ़ोन से रिकॉर्ड एक वीडियो दिखाया जिसमें प्रदर्शनकारी किसान उनके हाथ से मोबाइल छीन रहे हैं. ये वीडियो ठीक तीन बजे का है.

 

योगेश कहते हैं, ''मैंने किसानों से अपना फ़ोन लेकर जेब में रखा ही था कि गाड़ियां आ गईं और मेरे बगल में खड़े चानी घायल हो गए. रमन इस समय तक ठीक मेरे पीछे खड़े थे. लेकिन इसके बाद वो हमें दिखाई नहीं दिए.

तिकुनिया थाने की पुलिस ने रमन के शव को लखीमपुर खीरी ज़िला अस्पताल की मोर्चरी भिजवाया था. तिकुनिया के एसएचओ बालेंदु के मुताबिक पुलिस को जो भी घायल मिले उन्हें अस्पताल भेजा गया और जो मृत थे उन्हें मोर्चरी भेजा गया.

 

अलग-अलग सूत्रों से जो जानकारी बीबीसी को मिली है उसके मुताबिक़ शवों को 6 बजे के क़रीब तिकुनिया से मोर्चरी के लिए भेजा गया. घटना के बाद और शव मिलने तक रमन कश्यप के साथ क्या हुआ ये स्पष्ट नहीं हो सका है.

 

लेकिन बीबीसी ने रमन कश्यप के साथ कवरेज कर रहे जितने भी पत्रकारों से बात की सभी का यही कहना था कि घटना के बाद वो मिल नहीं रहे थे और उन्हें खोजने की कोशिश की गई थी.

 

सुरजीत चानी बताते हैं, ''मुझे हल्की चोट लगी थी, जहां मैं खड़ा था वहां दो लोग घायल पड़े थे, मैं अपनी कार से उन्हें लेकर तिकुनिया अस्पताल पहुंचा और वहां अपना भी इलाज कराया. बाद में मुझे पता चला कि घटना में लोगों की मौत हुई है और गाड़ियों को फूंक दिया गया है. रमन कश्यप के लापता होने का पता मुझे शाम को चल पाया.''

 

रमन के परिवार को ये तो पता था कि वो कवरेज के लिए गए हैं, लेकिन उनके लापता होने के बारे में जानकारी नहीं थी. रमन के छोटे भाई पवन बताते हैं, “मैं नैनीताल से लौट रहा था जब मुझे तिकुनिया में हुई घटना की ख़बर मिली. मैंने तुरंत रमन को फ़ोन लगाया, लेकिन नहीं लगा. उनके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की तो नहीं मिली.”

जब रमन के लापता होने का पता उनके परिवार को चला तो उन्हें खोजने की कोशिश की गई. लेकिन घटना के बाद घटनास्थल को पुलिस ने अपने नियंत्रण में ले लिया था और वहां किसी को जाने नहीं दिया जा रहा था.

रमन के पिता राम दुलारे कहते हैं कि उन्हें भी घटनास्थल के क़रीब नहीं जाने दिया गया था. रामदुलारे कहते हैं, ''जब हमारा बेटा नहीं मिला तो हम यही दुआ कर रहे थे कि वो घायल हो और अस्पताल में हो. हमने उसे देर रात तक खोजा, लेकिन कोई जानकारी हमें नहीं मिली.''

इसी बीच परिवार ने उनके लापता होने की अपील सोशल मीडिया पर जारी कर दी थी और फ़ेसबुक पर भी उनके बारे में पोस्ट किए जाने लगे थे.

 रमन के परिजनों का कहना है कि अगर समय रहते रमन को अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो शायद उनकी मौत ना होती.

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