प्यारे मियां यौन शोषण केस : मृतक की जांच रिपोर्ट गुमराह करने वाली, कैसे पहुंची पीड़िता के पास नींद की गोलियां बताया ही नहीं
मध्यप्रदेश/भोपाल – मंगलवार को महिला एवं बाल विकास विभाग ने 10 दिन बाद प्यारे मियां यौन शोषण केस में नाबालिग की मौत के मामले में आखिरकार अपनी रिपोर्ट मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग को प्रस्तुत कर दी। मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले में कलेक्टर को 22 जनवरी को पत्र लिखकर 7 दिन में 7 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। आयोग के मुताबिक महिला एवं बाल विकास विभाग ने 10 दिन बाद जानकारी भेजी, वह भी अधूरी।
रिपोर्ट देखने के बाद आयोग ने कहा कि भेजी गई जानकारी आधी-अधूरी और गुमरा करने वाली हैं। रिपोर्ट में नाबालिग को अस्पताल में भर्ती कराने का समय ही अलग-अलग बताया गया हैं। इस रिपोर्ट में दो पत्र संलग्न किए गए। एक पत्र में पीड़िता को अस्पताल में भर्ती करने का समय साढ़े चार से 5 बजे के बीच बताया गया। वहीं दूसरी रिपोर्ट में सात बजे बताया गया।
रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि मृतक के पास आखिरकार इतनी गोलियां कैसे पहुंची। साथ ही बताया कि मृतक को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं थी। पीड़िता के पेट में दर्द था। उसे ओआरएस का घोल दिया गया था। उसके बाद उसे आराम करने कहा। जब ज्यादा तबियत खराब हुई तो उसे डायल 100 से पहले जेपी अस्पताल भेजा गया।
वहीं, मप्र बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने कहा कि जानकारी गुमराह करने वाली और असंतोषजनक हैं। इसे खारिज करते हुए फिर से स्पष्ट और बिंदुबार मांगी जानकारी भेजने के लिए पत्र लिखा हैं।