इंदौर:- ओबीसी आरक्षण पर जारी कानूनी विवाद के चलते दो साल से भी ज्यादा समय से प्रदेश के लाखों उम्मीदवार परेशान हो रहे हैं. इनमें पीएससी के अभ्यर्थियों के साथ ही शिक्षक भर्ती, पुलिस प्रहरी, जेल प्रहरी से लेकर चिकित्सा अधिकारी तक के अभ्यर्थी या तो भर्ती का इंतजार कर रहे हैं या परीक्षा देकर नतीजों का पीएससी के उम्मीदवारों ने सोमवार को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ चीफ जस्टिज आफ इंडिया को भी ज्ञापन प्रेषित किया. प्रदेश के सैकड़ों युवा अब मुख्यमंत्री और राज्यपाल को भी पोस्टकार्ड भेजकर अवरोध हटाने और रोजगार देने की मांग करेंगे.
दरअसल मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी भर्तियों में ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दी थी. आरक्षण में संशोधन के इस प्रावधान को कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 2019 से हाई कोर्ट में मामले में याचिका लंबित है. तब से अब तक पीएससी की तमाम परीक्षाओं के रिजल्ट अटके हुए हैं. नई भर्ती प्रक्रियाएं भी घोषित नहीं हो रही है. चीफ जस्टिस आफ इंडियो को भेजे ज्ञापन में अभ्यर्थियों ने लिखा कि अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय को निर्देश दिया था कि याचिका पर जल्दी सुनवाई की जाए. अभ्यर्थियों ने चीफ जस्टिस को लिखा कि दो साल से प्रकरण अब भी लंबित है. न्याय निर्णय में देरी से लाखों युवा परेशान है. दूसरी ओर राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में अभ्यर्थियों ने लिखा है कि आरक्षण का राजनितिक मुद्दे में विद्यार्थियों को मोहरा न बनाया जाए. जल्द प्रकरण का निराकरण हो. दो वर्षों से अब तक पीएससी ने नतीजे जारी नहीं किए हैं. राज्य सेवा 2019 का न रिजल्ट दिया जा रहा है न ही कटआफ जारी हो रहा है. 2020 की प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट भी अटका है. अब 2021 की राज्यसेवा परीक्षा की घोषणा भी आरक्षण के विवाद में अटकती दिख रही है.