सरकार के फर्ज़ी वादों की वजह से प्राइवेट अस्पतालों ने दी चेतावनी,अस्पतालों का 1600 करोड़ बकाया

सरकार के फर्ज़ी वादों की वजह से प्राइवेट अस्पतालों ने दी चेतावनी,अस्पतालों का 1600 करोड़ बकाया

देश के प्राइवेट अस्पतालों ने सेंट्रल गर्वमेंट हेल्‍थ स्‍क्रीम और एक्स सर्विसमैन कॉन्ट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम के तहत 'कैशलेस' सेवाएं बंद करने की चेतावनी दी है. क्योंकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से उनका 1600 करोड़ का भुगतान लटका हुआ है

क्या है पूरा मामला

बता दें कि ये चेतावनी प्राइवेट अस्पतालों के एसोसिएशन ने दी है क्योंकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से उनका 1600 करोड़ का भुगतान लटका हुआ है. और ये पैसे अस्पतालों को अब तक दिए नही गए है वही जुलाई में एक पत्र वित्त मंत्रालय को भेजा गया था और पूरी जानकारी दी गई लेकिन इसका कुछ खास परिणाम नही निकला अब अस्पताल ने अपनी कमर कस ली है और कड़ा कदम उठाते हुए सरकार को चेतावनी दे दी है जिसकी वजह से CGHS और ECHS जैसी योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं.इसके साथ ही प्राइवेट अस्पताल के एसोसिएशन ने ये दावा भी किया है कि मोदी सरकार की आयुष्मान भारत यूनिवर्सल हेल्थकेयर स्कीम लागू होने के बाद स्थिति पहले से ज्यादा खराब हो गई है

क्या कहना है एसोसिएशन काएसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (AHPI) की हाल ही में हुई बैठक में फैसला लिया गया कि अगर केंद्र सरकार ने बकाया बिलों के भुगतान को मंजूरी नहीं दी तो CGHS और ECHS लाभार्थियों को दी जाने वाली 'कैशलेस' सेवा बंद कर दी जाएगी.वही एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल गिरधर ज्ञानी ने का कहना है कि, “पिछले तीन सालों से अस्पतालों का भुगतान लटका हुआ है क्योंकि इन योजनाओं के तहत अस्पतालों की संख्या बढ़ गई है जबकि बिलों को मंजूरी देने के लिए बजट पहले जितना ही है.” उन्होंने आगे कहा, “आयुष्मान भारत योजना लागू होने के बाद स्थिति और खराब हो गई और बकाया राशि 1600 करोड़ पहुंच गई है।” हम जल्दी ही मंत्रालय और संबंधित ​अधिकारियों को पत्र लिखने जा रहे हैं कि अगर हमारे नुकसान की भरपाई के लिए कोई आपात कार्यवाही नहीं की गई तो हम इन योजनाओं के तहत दी जा रही सेवाओं को बंद करने के लिए मजबूर होंगे.”इतना ही नही योजना में प्रावधान है कि अस्पताल जो बिल लगाएंगे, उसका 70 फीसदी भुगतान पांच दिन के अंदर किया जाएगा. किसी भी मामले में इस तरह निर्धारित समय के अंदर भुगतान नहीं किया गया. अस्पतालों को भुगतान के लिए महीनों से लेकर सालों तक इंतजार करना पड़ रहा है.

 

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