पीएन हूण को आखिरी सलाम , भारत माँ की गोद ने "ऑपरेशन मेघदूत" के जांबाज को खो दिया

चंडीगढ़ /गरिमा श्रीवास्तव :-  आज भारत माँ ने अपने एक लाल को खो दिया।
भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हूण का सोमवार शाम ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया। 91 वर्ष के अपने जीवनकाल में पीएन हूण बहुत सारे वीरतापूर्ण कार्य किए।

 

आज उनके साहस और ज़ज़्बे को पूरा देश सलाम करता है।
पीएन हूण का जन्म पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था। लेकिन बटंवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया।
पीएन हूण 1987 में पश्चिमी कमान प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।

बताते चलें की यह  वीर जांबाज़ भारत माँ के लिए हर वक़्त मौत के मुंह में जाने को तैयार था।

पकिस्तान की नजर जब 33 हजार वर्गकिलोमीटर में फैले सियाचीन पर थी,उस वक़्त पीएन हूण ने अपनी बहादुरी से और सेना के साथ मिलकर पकिस्तान को झुकने पर मजबूर कर दिया।
दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में पीएन हूण ने कभी हार नहीं माना।

 

 


उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने सियाचिन की हड्डियां गला देने वाली ठंड में पाक सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
आख़िरकार पकिस्तान को हार मान कर वापस लौटना पड़ा था , यह ऑपरेशन अप्रैल, 1984 में लांच किया गया था। उस वक्त भारत को अपनी खूफिया  एजेंसी रॉ से खबर मिली थी कि 17 अप्रैल, 1984 को पाकिस्तान सेना सियाचिन ग्लेशियर कब्जाने के लिए चढ़ाई करेगी। पीएन हूण और भारतीय सेना के जांबाज़ ने देश के लिए जी जान लगाकर फतह हासिल किया।

बहुत कम सैनिकों के साथ मिलकर पीएन ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया ,उनकी सूझबूझ और बुद्धिमत्ता के चलते भारतीय सैनिकों ने सियाचिन पर  कब्जा जमाकर भारतीय झंडा फहरा दिया और माइनस 50-60 डिग्री तापमान में सैनिक डटे रहे।

यह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चलाया गया भारतीय सेना का साहसी ऑपरेशन था।हूण देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर भी बेहद सजग थे।

उन्होंने पीएम मोदी को  बेहतर कार्य करने की क्षमता रखने वाला नेता बताया।  कल उनके मृत्य के बाद पूरा देश शोक में है।

शिवराज सिंह चौहान एवं अन्य नेताओं ने ट्वीट के माध्यम से शोक व्यक्त किया है।

आज पीएन हूण का अंतिम संस्कार चंडीगढ़ में होगा।
भारत देश अपने वीर सुपुत्र को हमेशा याद करेगा।

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