मध्यप्रदेश/भोपाल – शिवराज सरकार अतिथिविद्वानों के विषय पर गंभीर है तथा विभाग इस संबंध में नीति बनाने के काफी करीब है। आशा है जल्द ही अतिथिविद्वान नियमितीकरण के संबंध में निर्णय ले लिया जाएगा। यह उद्गार प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल रीवा प्रवास के दौरान अतिथिविद्वानों के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलते हुए व्यक्त किये। उल्लेखनीय है कि सूबे के सरकारी कॉलेजों में अध्यापन कार्य कर रहे अतिथिविद्वान पिछले दो दशकों से अपने नियमितीकरण की माँग को लेकर संघर्षरत रहे हैं।
अतिथिविद्वानों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने कहा है कि शाहजहानी पार्क के आंदोलन के दौरान पधारे शिवराज सिंह चौहान ने हमें नियमितीकरण में सहयोग का आश्वासन दिया था। अतिथिविद्वान अपना अस्तित्व बचाने संघर्ष कर रहे है। कई सरकारें आयी और चली गयी लेकिन अतिथिविद्वानों की समस्या जस की तस बनी हुई है।किसी ने भी इस समस्या के हल के लिए सार्थक पहल नही की है।आज भी 600 अतिथि विद्वान बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। प्रतिनिधि मंडल में डॉ नीरज मिश्र,डॉ रोहित तिवारी तथा अन्य अतिथि विद्वान शामिल थे।
पिछले 26 वर्षों से महाविद्यालयों को संभाल रहे हैं अतिथि विद्वान
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक वा प्रदेश अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने कहा है कि पिछले 26 वर्षों अतिथि विद्वान ही प्रदेश के महाविद्यालयों को संचालित कर रहे हैं लेकिन आज तक उनकी जायज़ मांग नहीं पूरी हुई। ऐतिहासिक शाहजहानी पार्क के आंदोलन में शामिल होने आए तब के विपक्ष के नेता व वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन कमलनाथ को घेरते हुए कहा था कि राज्यस्तरीय मेरिट के आधार पर चयनित उच्च शिक्षित अतिथिविद्वानों से किया गया नियमितीकरण का वादा कांग्रेस सरकार को अवश्य पूरा करना चाहिए। भाजपा की सरकार बनते ही अतिथिविद्वान नियमितीकरण का निर्णय जल्द लिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बाद में अतिथिविद्वानों के मुद्दे पर ही सड़क पर उतरने की धमकी देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की सरकार को गिराने में महती भूमिका अदा की थी। भाजपा की सरकार तो बन गयी किन्तु अतिथिविद्वान अब भी बदहाल स्थिति में अपने अनिश्चित भविष्य के साथ कालेजों में कार्यरत है।