जिनके मुद्दे पर बनी शिवराज सरकार, अतिथि विद्वानों को नियमितीकरण का इंतजार
मध्यप्रदेश/भोपाल – जिन महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी उसी मुद्दे को भूलती हुई प्रतीत हो रही है। आज पूरा प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरा देश जानता है कि अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर ही राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी और बीजेपी में शामिल हुए और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। अतिथि विद्वानों के चर्चित भविष्य सुरक्षा यात्रा और शाहजहानी पार्क के आंदोलन में खुद वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आए थे और उन्होंने कहा था कि “टाइगर अभी जिंदा है” बिना एक पल की देरी किए अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण किया जाना चाहिए।हमारी सरकार बनेगी प्राथमिकता के साथ अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का आदेश निकल जाएगा।विडम्बना है कि सरकार बनी, सत्ता मिली, एक वर्ष सरकार बने हो गया लेकिन जिन अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण के नाम पर सड़क और सत्ता का खेल खेला गया वो अतिथि विद्वान आज भी सड़क पर हैं। दर दर की ठोकरें खा रहे हैं।
संघ के अध्यक्ष वा मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा कि प्रदेश में पिछले 26 वर्षों से मप्र के शासकीय महाविद्यालयों में छात्र छात्राओं का भविष्य गढ़ने वाले खुद अपने अनिश्चित भविष्य के चलते आए दिन आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं पर अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण राजनैतिक दलों का चुनावी जुमला बन कर रह जाता है। सरकार से अनुरोध है कि मप्र की उच्च शिक्षा को संवारते अधेड़ हो चुके अतिथि विद्वानों के भविष्य को सुरक्षित करें और अतिथि विद्वानों का पुनर्वास करें।
471 पदों की कैबिनेट से मंजूरी के बाद भी शुरू नहीं हुई भर्ती प्रक्रिया
संघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि आज सरकार को बने हुए एक वर्ष होने को हैं लेकिन अभी भी लगभग 500 उच्च शिक्षित अतिथि विद्वान फॉलेन आउट होकर एक वर्ष से बेरोजगार हैं। कैबिनेट से मंजूरी के बाद भी एक वर्ष से 471 पदों को रोक कर रखा गया है। सरकार से आग्रह करते हुए डॉ पांडेय ने कहा कि तत्काल बाहर हुए अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लें व लगातार होती विद्वानों की आत्महत्या को सरकार रोके और अतिथि विद्वानों को नियमित कर जीने का अधिकार दे क्योंकि अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर ही मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है।
सरकार और संगठन हमेशा अतिथि विद्वानों की हितैषी रही है
संघ के प्रांतीय प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा कि अख़िल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रांतीय अधिवेशन में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण के लिए प्रस्ताव पास किया गया जो स्वागत योग्य है, सूबे के मुखिया मामा शिवराज सिंह चौहान जी से आग्रह करते हुए कहा कि पिछले 26 वर्षों से उच्च शिक्षा को अपने खून पसीने से सींचने वाले अतिथि विद्वानों को सिर्फ़ नियमितीकरण का कोरा आश्वासन मिला है।सरकार के सभी कैबिनेट मंत्री सहित संगठन और अनुषांगिक संगठन अतिथि विद्वानों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकार को कई बार पत्र लिख चुके हैं लेकिन सरकार की तरफ से आज तक अमल नहीं किया गया।मुख्यमंत्री शिवराज जी को तत्काल निर्णय लेने की जरूरत है।