NRC का पूर्वोत्तर में जम कर हो रहा है विरोध ,जानिए क्या हैं कारण

नई दिल्ली :- कल भारी हंगामे और देर रात  तक चली चर्चा और मतविभाजन के बाद  संसद भवन में नागरिकता संसोधन बिल पास कर दिया गया है।लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के बाद इसके पक्ष में 311 और  विरोध में 80 मत पड़े ,जिसके बाद विधेयक को निचले सदन की मंजूरी मिल गयी है। पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एनईएसओ )के भारी  विरोध प्रदर्शन को देखते हुए गुवाहाटी यूनिवर्सिटी और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी ने कल होने वाली परीक्षाएं टाल दी हैं। संसोधन बिल के खिलाफ पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। छात्र संगठनो की तरफ से संयुक्त रूप से बुलाया गया 11 घंटे का बंद सुबह 5 बजे शुरू हो गया। विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन को देखते हुए असम ,अरुणांचल प्रदेश,मेघालय , मिजोरम, और त्रिपुरा में सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं।
 अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संघीय अमेरिकी आयोग ने कहा कि नागरिकता संसोधन विधेयक पारित होना एक खतरनाक कदम है। उन्होंने अपने बयान  में कहा कि यदि यह भारत के संसद भवन में पारित होता है तो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबन्ध लगाना होगा। यूएससीआईआरएफ ने सोमवार को एक बयान में कहा कि विधेयक के लोकसभा में पारित होने से वह बेहद चिंतित हैं। 
नागरिकता संसोधन बिल के खिलाफ पूर्वोत्तर में विरोध प्रदर्शन हो रहे संगठन के समर्थन में कांग्रेस ,एआईयूडीएफ,ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ,कृषक मुक्ति संग्राम समिति ,ऑल अरुणांचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन ,खासी स्टूडेंट्स यूनियन ,और नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन जैसे संगठन हैं। 
विधेयक के खिलाफ भारी प्रदर्शन का मुख्य यह कारण है कि पूर्वोत्तर राज्य के लोगों के एक बड़े वर्ग को लगता है की यह नागरिकता बिल पारित होने से उनकी भाषा पहचान और संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी। उनका मानना है कि इस बिल के आते ही वो अपने ही राज्य में अल्पसंख्यक बन जायेंगे। प्रदर्शनकारियों का सवाल यह भी है की जब अरुणांचल प्रदेश ,मिजोरम और नागालैंड को नागरिक संसोधन विधेयक से बाहर रखा जा सकता है तो हमारे साथ दोहरा व्यव्हार क्यों किया जा रहा है। 
वहीँ दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा  कि मैं नागरिकता संसोधन विधेयक 2019 के सभी पहलुओं को साफ तौर पर समझाने के लिए मंत्री अमित शाह की विशेष रूप से सराहना करता हूँ। उन्होंने सभी सांसदों और पार्टियों का धन्यवाद देते हुए यह भी  कहा कि” यह बिल भारत के सदियों पुराने मानवीय मूल्यों में विश्वास के अनुरूप है।”
बहरहाल देखना यह बेहद दिलचस्प होगा होगा कि गृहमंत्री द्वारा पेश किये गए इस बिल का संपूर्ण देश में स्वागत किया जायेगा अथवा पूर्वोत्तर की तरह संपूर्ण देश इसके विरोध में आ खड़ा होगा ।  वहीँ  विपक्ष के नेताओं का इस बिल को लेकर यह  कहना है कि हम बिल के खिलाफ हैं और इस असंवैधानिक  बिल के खिलाफ हमारी  लड़ाई उच्चतम न्यायालय तक जारी रहेगी 

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