“भ्रष्टाचार” मिटाने के वादे के साथ बनी “महापौर” पर ही लटक गई भ्रष्टाचार की तलवार

शपथ ग्रहण के अगले दिन ही 15 साल पुराने भ्रष्टाचार केस में आया मालती राय के खिलाफ नोटिस
भोपाल : “भ्रष्टाचार खत्म करूंगी जनता से किए सभी वादे पूरी ईमानदारी के साथ पूरे करूंगी”। ये शब्द भोपाल नगर निगम की नवनिर्वाचित महापौर मालती राय के हैं। यह बातें मालती राय के द्वारा 6 अगस्त को महापौर पद की शपथ लेने के दौरान कही गई थी। शपथ लेने के अगले ही दिन यानी 7 अगस्त को उनके खिलाफ 15 साल पुरानी भ्रष्टाचार की फाइल लोकायुक्त ने खोल दी। नोटिस पर 26 जुलाई की तारीख दर्ज है जबकि मालती राय को यह नोटिस 7 अगस्त को प्राप्त हुआ है।
यह पूरा मामला 15 साल पुराना है। एमपी नगर में सीमेंट-कंक्रीट सड़कों के निर्माण में कॉन्ट्रैक्टर को 85 लाख रुपए का अधिक भुगतान करने के मामले में जिन 39 पार्षदों को दोषी पाया गया था उस में मालती राय का नाम भी शामिल था। रिपुसूदन दयाल, जो कि उस समय लोकायुक्त थे, उन्होंने 15 लाख रुपए वसूलने और पार्षदों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश संभागायुक्त से की थी। हालांकि पिछले 8 सालों से इस पर कोई भी फैसला नहीं लिया गया परिषद का कार्यकाल भी समाप्त हो गया और कई संभागायुक्त भी बदले गए।
गुटबाजी को बताया जा रहा है वजह
15 साल पुराने केस का फाइल अचानक खुलना प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक जानकार मालती राय का विश्वास सारंग के करीबी होने को गुटबाजी का मुख्य कारण मान रहे हैं। जानकारों की माने तो 15 साल पुराने केस का यूं अचानक खुलना और बड़े नेताओं का नाम भी इस मामले में शामिल होना किसी बड़े गुटबाजी के उभरने का स्पष्ट संकेत है।
मामले के सुनियोजित होने की आशंका
भोपाल संभागीय आयुक्त ने तब निगम कमिश्नर होने को कार्यवाही नहीं कर पाने का कारण शासन को लिखित रूप में बताया। जिसके बाद शासन ने यह मामला होशंगाबाद संभागीय आयुक्त को सौंप दिया। होशंगाबाद आयुक्त ने इस पर तुरंत कार्यवाही करते हुए नोटिस जारी कर दिए। पूर्व सांसद और विधायक भी मामले में फंसते नजर आ रहे हैं, इसीलिए पूरे मामले को सियासी जगत का बुना हुआ जाल माना जा रहा है।