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निर्भया के दरिंदो के सारे कानून रास्ते बंद ! जानिए क्या कहा कोर्ट ने और कब तक हो सकती है उनको फ़ासी ??

 पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को निर्भया के दोषियों के डेथ वॉरंट पर सुनवाई की। कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिए कि वे दोषियों को आज ही एक हफ्ते का नोटिस दें कि वे दया याचिका दाखिल करना चाहते हैं या नहीं? कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 7 जनवरी को करेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज की।

1) दोषियों के पास अब क्या रास्ता बचा?

दोषियों के पास अभी भी दो रास्ते बचे हैं। पहला- क्यूरेटिव पिटीशन और दूसरा- दया याचिका। पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों को एक हफ्ते में दया याचिका दाखिल करने के निर्देश दिए। उन्हें 7 दिन में क्यूरेटिव पिटीशन भी दाखिल करनी होगी क्योंकि पटियाला हाउस कोर्ट में अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।
2) क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल नहीं की, लेकिन दया याचिका लगाई तो?

दोषियों पर निर्भर है कि वे क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका दोनों दाखिल करते हैं या सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका ही लगाते हैं। आमतौर पर दया याचिका सभी कानूनी रास्ते बंद होने के बाद लगाई जाती है। लेकिन, दया याचिका खारिज हुई तो दोषी क्यूरेटिव पिटीशन भी दाखिल नहीं कर पाएंगे।
 

3) क्या राष्ट्रपति दया याचिका तुरंत खारिज कर सकते हैं?

दया याचिका खारिज करने की कोई समय सीमा तय नहीं है। राष्ट्रपति चाहें तो तुरंत भी खारिज कर सकते हैं या उस पर विचार करने के लिए समय भी ले सकते हैं। हालांकि, निर्भया केस में दया याचिका पर राष्ट्रपति के विचार करने की संभावना कम हैं, इसलिए राष्ट्रपति इसे तुंरत खारिज कर सकते हैं।
4) 7 जनवरी को सुनवाई में कोर्ट डेथ वॉरंट जारी कर सकती है?

7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में निर्भया की मां की याचिका पर सुनवाई होगी। इसमें उन्होंने दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द डेथ वॉरंट जारी करने की मांग की है। राष्ट्रपति की तरफ से दया याचिका खारिज होने के बाद दोषियों के पास कोई रास्ता नहीं होगा और कोर्ट इस दिन उनका डेथ वारंट जारी कर सकती है।
हो जाएगी?

5) डेथ वॉरंट जारी होने के बाद कितने दिन में फांसी

डेथ वॉरंट को ब्लैक वारंट भी कहते हैं। इसमें फॉर्म नंबर-42 होता है, जिसमें फांसी का समय, जगह और तारीख का जिक्र होता है। इसमें फांसी पाने वाले सभी अपराधियों के नाम भी लिखे जाते हैं। इसमें ये भी लिखा होता है कि अपराधियों को फांसी पर तब तक लटकाया जाएगा, जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती। 

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