स्मोकिंग करनेवालों को कम है कोरोना संक्रमण का खतरा, अब निकोटिन ही दिलवाएगा कोरोना से छुटकारा

भोपाल से गौतम कुमार कि रिपोर्ट 

चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने पुरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया है। इसको आए हुए अब तक तकरीबन 3 महीने हो चुकें हैं और चीन में तो यह वायरस नवंबर से कहर बरपा रहा है। इतने दिन बीत जाने के बावजूद दुनियाभर के तमाम मेडिकल एक्सपर्ट्स इसका कोई रामबाण नहीं बना पाए हैं। अभी तक कोई ऐसी वैक्सीन नहीं इजाद कि गई है जिससे कोरोना को मात दिया जा सके। हां लेकिन एक काम है जो वैज्ञानिक करने में लगे हैं और वह है शोध। ऐसे हीं एक शोध में यह बात निकलकर सामने आई है कि जो लोग ध्रूमपान करते हैं यानि कि धुंआ सोखते हैं उनकी कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा है।

पेरिस स्थित पिती-सल्पेतिए अस्पताल में 11 हजार कोरोना पॉजिटिव मरीजों के अध्ययन में पाया गया कि 8.5% मरीज जो स्मोर्कस हैं, उनका इम्यून सिस्टम धूम्रपान न करने वाले मरीजों से थोड़ा बेहतर है। हालांकि, शोधकर्ता ने कहा है कि इसका मतलब यह नहीं कि वे लोगों को धूम्रपान करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। स्मोकिंग अपने आप में एक घातक समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में 50% बीमारी धूम्रपान से होती हैं।

शोध में निकलकर आई यह बात 

अध्ययन की समीक्षा करने वाले प्रसिद्ध फ्रांसीसी न्यूरोबायोलॉजिस्ट ज्यां-पिया शांजू ने सुझाव दिया है कि निकोटीन कोरोना वायरस को शरीर की अन्य कोशिकाओं तक पहुंचने से रोक सकता है। निकोटीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने की प्रक्रिया को भी धीमा कर सकता है, जो कोविड-19 संक्रमण का सबसे गंभीर पक्ष है। शांजू कहते हैं, ‘मैंने पिती-सल्पेतिए अस्पताल में भर्ती 480 रोगियों की केस स्टडी पढ़ी। उसके मुताबिक निकोटीन कोरोना वायरस से उन लोगों की रक्षा करने में ज्यादा सक्षम है, जो धूम्रपान नहीं करते।’ इसका प्रमाण ऐसे पता चला कि रिसर्च टीम ने 480 कोरोना पॉजिटिव मरीजों में से 350 गंभीर लक्षण वाले मरीजोें को अस्पताल में ही एडमिट किया, जबकि कम गंभीर लक्षण वाले मरीजों को घर भेज दिया। इसमें पाया गया कि अस्पताल में एडमिट मरीजों में 4.4% लोग नियमित धूम्रपान करने वाले थे, जिनकी औसत आयु 65 वर्ष थी। वहीं, घर भेजे जाने वाले मरीजों की औसत उम्र 44 वर्ष थी और उसमें 5.3% धूम्रपान करने वाले थे। मरीजों की उम्र और लिंग को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि 40% मरीज 44-53 आयु वर्ग वाले थे, इसमें से 8.8% स्मोर्कस थे, बाकी 65-75 वर्ष आयु वाले मरीज थे। फ्रांस में धूम्रपान करने वालों की कुल संख्या आबादी में लगभग 25.4% है।

अभी तक पुष्टि नहीं 

इस लेख का यह तात्पर्य बिलकुल नहीं है कि आप स्मोकिंग शुरू कर दें। अभी तक शोधकर्ताओं ने इस बात कि पुष्टि नहीं कि है ऐसा ही है। पर अभी तक ऐसा कोई फाइनल रिजल्ट नहीं आया है। अभी तक और शोध जारी है और फाइनल रिजल्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। 

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