भोपाल : 22 मार्च विश्व जल दिवस पर कोरोना की वजह से सामने आया यह नया प्रदूषण? जानिए

भोपाल : 22 मार्च विश्व जल दिवस पर कोरोना की वजह से सामने आया यह नया प्रदूषण? जानिए
- रसायन पदार्थों के जमा होने के कारण बिगड़ रही है हालत
भोपाल/ निकिता सिंह : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर में कोरोना संक्रमण की वजह से आज एक आया प्रदूषण का नाम सामने आया हैं। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए भारत वासियों ने विभिन्न पदार्थों के डिसइन्फेक्टेड रसायनों का इस्तेमाल किया है। भोपाल शहर में साफ सफाई के लिए विभिन्न प्रकार के उपयोग किए जाने वाले फिनायल, हैंडवॉश ,साबुन, इन सब का उपयोग 5 गुना तक बढ़ गया है।
इसके साथ ही बहुत अधिक मात्रा में सोडियम हाइपोक्लोराइट का भी सैनिटाइजर में इस्तेमाल किया जाता है। घरेलू लिक्विड वेस्ट के साथ यह सभी रसायन पदार्थ जल स्त्रोत जैसे तालाब , नदी में मिल जाते हैं। साथ-साथ यह सभी रसायन ग्राउंड वॉटर तक में पहुंच जाते हैं। इन पदार्थों में से कुछ रसायन तो जल्दी विघटित हो जाते हैं। लेकिन कई ऐसे रसायनिक भी होते हैं। जो सालों तक पानी में ही रहते हैं। जिसके कारण पानी प्रदूषित हो रहा है। जिसके कारण जीवो में भी खतरा पैदा हो रहा है।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट में तालाब ,कोलार ,केरवा डैम, का पानी स्वच्छ नहीं बताया गया है। अगर इन्हें अभी ठीक नहीं किया गया तो भविष्य में जाकर स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ेगा।
सूत्रों के अनुसार बरकतउल्ला के साइंस के प्रोफेसर और लिमनोलॉजिस्ट डॉक्टर विपिन व्यास के अनुसार – घर से निकलने वाली गंदगी का 60% वेस्ट के रूप में निकलता है। यह 60% बेस्ट जल स्त्रोत में ही पहुंचता है। हैंड वाश साबुन काफी रसायलो से बने होते हैं। जिसके कारण ही यह पानी में जमा रहते हैं खत्म नहीं होते। यह रसायन टॉक्सिक होते हैं। यह भले ही कम मात्रा में होते हैं लेकिन अगर यह हमारे शरीर में जाएं तो टिश्यूज में इनका क्युमुलेटिव इफेक्ट होता हैं। और यह जमा होने लगता है। और जब इसकी निश्चित मात्रा हो जाती है। तो दुष्प्रभाव होने लगते हैं। यही कारण है कि सेफ्टी टैंक बनते समय फिनाइल एसिड को डालने से रोका जाता हैं।
- रिपोर्ट में हुआ खुलासा-
एमपीपीसीबी जनवरी 2021 की वॉटर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट में बताया गया कि बड़े तालाब के साथ कोलार डैम के इंटेक पॉइंट पर पानी में भी बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड ज्यादा होने के साथ करबला इंटेकवेल के कोलीफॉर्म ओर ई-कोलाई बैक्टीरिया अधिक मिली है । इसका सबसे बड़ा कारण है कि बड़े तालाब में अभी भी 18 नाले मिल रहे हैं। जिन नालों में घर के लिक्विड पदार्थ मिले होते हैं।
नर्मदा नदी के एमपीपीसीबी द्वारा की गई जांच में शाहगंज ,होशंगाबाद, बुधनी, सीहोर, के पास भी पानी पीने के योग्य नहीं । अगर इसी तरह लिक्विड पदार्थ पानी में मिलते रहे तो पूरा पानी प्रदूषित हो जाएगा और पीने योग्य भी नहीं बचेगा ।