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नई दिल्ली: अपने में अडी केन्द्र सरकार प्रेस वार्ता में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के बयान समझौता फसल का होगा, जमीन का नहीं !! 

नई दिल्ली: अपने में अडी केन्द्र सरकार प्रेस वार्ता में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के बयान समझौता फसल का होगा, जमीन का नहीं !! 
नई दिल्ली/राजकमल पांडे।
इस कडकडाती ठंड में जिस तरह देश के धरतीपुत्र किसान दिल्ली के द्वार में डटे हैं. उस लिहाज से सरकार का झुकाव नहीं है. हालांकि यह दौर ही ऐसा क्योंकि सरकार तीनों कृषि कानून वापस न लेने की मंषा जाहिर कर दी है. तो वहीं किसान दिल्ली का द्वार न छोडने की अपनी मंषा स्पष्ट कर दी है. दोनो तरफ से रस्सा कसी में रसी तन गया है. खीचतान मची है और फैसला किसके पक्ष में होगा यह बडा विचारणीय मसला है. आंदोलनकारी किसानों में ज्यादा तादाद बुजुर्ग किसानों की है. ठंड में उनकी सेहत बिगडने का भी खतरा जिसके केन्द्र सरकार अभी गंभीरता से नहीं ले हैं. जो दिल्ली. पंजाब के किसान है उनकी तबियत न बिगडे उस पर परिजन बेहद चिंतित भी है. बस सरकार है जो किसानों की मांग सुनने को तैयार नही है. किसानों का कहना है कि आंदोलन अब राष्ट्रीय स्तर का हो चुका है और बगैर इस कानून का वापस कराए घर नहीं लौटेंगे. 
कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब में लंबे संघर्ष के बाद अब दिल्ली की चौखट पर किसानों का आंदोलन जारी है। लगभग 14 दिन से आंदोलनरत किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई पांच दौर की बैठक बेनतीजा रही। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद भी सरकार और किसानों में गतिरोध जारी है। अब इस मुद्दे पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस की।

  • 10 अहम बातें ये हैं
  • 1. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि कानून बनाने का मकसद था कि किसान मंडी की जंजीरों से मुक्त हो जाएं। इस कानून में ऐसे प्रावधान हैं कि बिना जोखिम के पैसे मिलें। किसान की जमीन को पूरी तरह से सुरक्षित रखने का प्रबंध किया गया है। अगर विवाद होता है तो एसडीएम 30 दिन के भीतर उसका निराकरण करेगा। सरकार ने किसानों से लगातार बात की लेकिन फायदा नहीं हुआ। 
  • 2. कृषि मंत्री ने कहा कि पहले यूरिया की काफी किल्लत होती थी। जब किसानों को जरूरत होती थी तो मुख्यमंत्री दिल्ली आ जाते थे। कई बार यूरिया लूटने की घटनाएं भी हुईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरिया की पूर्ति नियमित की। 
  • 3. कृषि कानूनों पर कांट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर किसानों में डर है। हालांकि इस पर कृषि मंत्री ने सरकार का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि समझौता किसान की फसल का होगा। किसान की जमीन, पट्टा या लीज पर नहीं ली जा सकेगी और न ही इसका समझौता होगा। अगर फसल तैयार करने के दौरान कोई खेत पर कोई ढांचा बनाने की जरूरत पड़ी तो बाद में ये ढांचा हटाना पड़ेगा। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में कांट्रैक्ट फार्मिंग पहले से ही हो रही है। 
  • 4. कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि हम बार-बार एमएसपी के बारे में किसानों को आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन अब भी किसानों को कोई शंका है तो मोदी सरकार एमएसपी पर लिखकर देने को तैयार है।
  • 5. किसानों को डर है कि इन कानूनों से एपीएमसी की मंडियां खत्म हो जाएंगी। किसान प्राइवेट मंडी के चंगुल में फंस जाएगा। राज्य सरकार प्राइवेट मंडियों का पंजीकरण कर सकें और उनसे सेस वसूल सकें, सरकार ऐसी व्यवस्था करेगी।  
  • 6. तोमर ने कहा कि कृषि कानून में प्रावधान है कि पैन कार्ड से व्यापारी खरीदारी कर सकता है लेकिन किसानों को लगता था कि कोई भी पैन कार्ड के जरिए खरीदकर भाग जाएगा। इस आशंका के समाधान के लिए राज्य सरकार को शक्ति दी जाएगी कि वह इस प्रकार की परिस्थिति में कोई भी नियम बना सकती है। 
  • 7. कृषि मंत्री ने कहा कि किसान जब भी चर्चा करना चाहें, सरकार तैयार है। पूरा देश इसका साक्षी है। स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में एमएसपी को डेढ़ गुना करने की बात कही थी, हमने उसे भी पूरा करने की कोशिश की। अधिक उम्र के किसानों के लिए भी केंद्र सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। किसानों की सामाजिक सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है। नया कानून नए मौके और नई टेक्नोलॉजी लेकर आएगा। 
  • 8. तोमर ने कहा कि जब तक कृषि और कृषक और गांव दोनों आत्मनिर्भर नहीं होंगे तब तक कृषि क्षेत्र का उत्थान नहीं हो सकता। सरकार का ध्येय है कि किसान आत्मनिर्भर बनें। फसलों की खरीदी पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हुई। हमारी कोशिश है कि ऐसी संरचनाओं का निर्माण किया जाए जिससे किसानों को फायदा हो। हर्बल पार्क, मधुमक्खी पालन के लिए लोन उपलब्ध कराया जाए। देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो किसानों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। 
  • 9.  कृषि मंत्री ने कहा कि तीन दिन बात उपज बेचने के बाद किसान को उसकी कीमत मिलने का प्रावधान हो जाएगा, लेकिन इस कानून में यह प्रावधान सुनिश्चित किया गया है। हमें लगता है कि लोग इसका फायदा उठाएंगे, किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होंगे, बुवाई के समय उसे मूल्य की गारंटी मिल जाएगी। किसान की भूमि को पूरी सुरक्षा देने का प्रबंध किया गया है।  
  • 10. आरोप लग रहे थे कि कृषि कानून अवैध हैं क्योंकि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र सरकार ये नियम नहीं बना सकती है। इस बारे में तोमर ने स्पष्ट किया कि केंद्र के पास व्यापार पर कानून बनाने का अधिकार है।

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