राष्ट्रीय प्रेस दिवस:- नेता के “चाटुकार” से बेहतर है जनता के हितों का “पैरोकार” बनें, “द लोकनीति” की तरफ से सभी पत्रकार बंधुओं को शुभकामनाएं
द लोकनीति डेस्क : गरिमा श्रीवास्तव
आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस है. आज के दिन हर पत्रकार को यह बात आत्मसात करना ही होगा कि उनका काम जनता के हितों की रक्षा करना है.
जनता की आवाज को शीर्ष तक पहुंचाना है.
प्रेस की आजादी है बेहद महत्वपूर्ण:-
प्रेस की आजादी बेहद महत्वपूर्ण है. पर इन दिनों देश की आजादी पर निरंतर हमला हो रहा है..
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रेस की आज़ादी बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें अपनी बात रखने की आज़ादी होनी चाहिए लेकिन किसी को जानबूझकर बदनाम नहीं करना चाहिए। फिलहाल देश में प्रेस की आज़ादी की चर्चा चल रही है।जिस तरह से अभी प्रेस की आज़ादी पर हमला हो रहा वह अच्छा नहीं है,
विश्व में अब लगभग 50 देशों में प्रेस परिषद या मीडिया परिषद है। भारत में प्रेस को 'वॉचडॉग' एवं प्रेस परिषद इंडिया को 'मोरल वॉचडॉग'कहा गया है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस,प्रेस की स्वतंत्रता एवं जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है। आज के दिन ही नहीं हमें यह हर रोज विचार करना ही होगा कि हम सभी पत्रकार अपने प्रतिदिन के कार्यों से कितने संतुष्ट हैं..
क्या हम वाकई में वह काम कर रहे हैं, जो हमारा कर्तव्य है….?
प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एवं पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी।
यह सबको पता है कि पत्रकारिता में तथ्यपरकता और तत्परता होनी चाहिए। परंतु तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर, बढ़ा-चढ़ा कर या घटाकर सनसनी बनाने की प्रवृत्ति आज पत्रकारिता में बढ़ने लगी है।
सभी स्थितियों पर हमें खुद विचार करना होगा. और समझना होगा कि कब, कहां और कैसे ग़लत किया जा रहा है.. या ग़लत हो रहा है..
और हम अपने माध्यम से किसी भी चीज़ को किस तरह ठीक कर सकते हैं..
एक बार फिर से आप सभी पाठकों को “द लोकनीति” परिवार की तरफ से राष्ट्रीय प्रेस दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,.