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भोपाल: ऐसा देश है मेरा:- ईद के दिन मुस्लिम युवकों ने कराया महिला का अंतिम संस्कार

भोपाल: ऐसा देश है मेरा:- ईद के दिन मुस्लिम युवकों ने कराया महिला का अंतिम संस्कार

 

भोपाल:- चाहे देश में लोग कितना भी हिंदू मुस्लिम के बीच फूट डालने की कोशिश करें पर गंगा जमुनी तहजीब आज भी देखने को मिलती है. ऐसी ही एक मिसाल भोपाल में इन मुस्लिम युवकों ने की.

मामला राजधानी भोपाल के कोहफिजा क्षेत्र का है. बताते चलें कि यह इलाका मुस्लिमों का माना जाता है. इस क्षेत्र में सुबह से ही ईंद की तैयारियां जोरों पर थीं. तभी मूलरूप से छतीसगढ़ की रहने वाली सुंदरिया बाई (80) की मौत बीमारी की वजह से हो गई. वह अपने एकलौते बेटे के साथ कोहफिजा इलाके में एक झोपड़ी बनाकर रहती थी. उसका बेटा मजदूरी कर जीवन-यापन के साधन जुटाता है.

 कोरोना के दौरान कोई भी बेटे की मदद करने नहीं आया जब इसकी जानकारी मुस्लिम युवकों को लगी तब वह सुंदरिया बाई के बेटे की मदद करने सामने आए.

और उन्होंने मजहबी सरहदों को पार कर छोला विश्रामघाट में महिला का अंतिम संस्कार कराया. इन मुस्लिम युवकों ने एंबुलेंस से लेकर दाह संस्कार तक का खर्च भी उठाया. हिंदू रीति-रिवाज से उनका अंतिम संस्कार कराया.

महिला को कंधा देने वाले सद्दाम के मुताबिक, मजहब हमेशा यही सिखाता है कि दूसरों की हर स्थिति में मदद की जाए. फिर वह हिंदू परिवार हो या मुस्लिम. ईद के ही दिन किसी के दर्द में शामिल होकर, उसकी मदद कर हमने ऊपर वाले की इबादत की है. वहीं, नहीन खान ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा मजहब इंसानियत है, जिसे हमने निभाने की कोशिश की है.

 

 इन लोगों ने इंसानियत की बड़ी मिसाल पेश की है. उन्होंने कहा कि ईद के दिन हमने बस अपना फर्ज निभाया है. हमारा मजहब इंसानियत है और हमने वही किया जो एक इंसान को करना चाहिए.

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