सभी खबरें

आखिर कब होगी कार्यवाही? शासन ने लाखों रुपये कर दिये स्वाहा, फिर भी पानी को तरस रहे सुक्कम-भुरकुण्डी के निवासी

  • 21 जनवरी को “द लोकनीति” ने उठाया था सुक्कम भुरकुण्डी ग्राम के ग्रामीण नल-जल के पेयजल का मुद्दा
  • ग्रामीण नल-जल योजना में भारी भ्रष्टाचार की सम्भावना
  • अधिकारियों की लापरवाही व अनदेखी से ग्राम पंचायत के कार्यकर्ताओं के हौसले बुलन्द
  • यही नहीं आँगनबाड़ी के शौचालय निर्माण पर भी भ्रष्टाचारियों की ललचाती नजरें

सिवनी से महेंद्र नायक की रिपोर्ट – सिवनी जिला अन्तर्गत जनपद पंचायत लखनादौन की ग्राम पंचायतें अब भ्रष्टाचार के साथ शासकीय राशि को व्यर्थ में गवाँने के नाम पर लगातार कुख्यात होती जा रही हैं। सम्बन्धित अधिकारियों की अनदेखी या लापरवाही से पंचायतों के सरपंच, सचिव सहित पंचायत से जुड़े लोग शासकीय राशि की जमकर दावत उड़ा रहे हैं। इन्हें न जाँच की चिन्ता है, न कार्यवाही का भय; जनता की सुविधा के लिये आने वाली शासकीय राशि इनके और इनके चहेतों के स्वार्थ की भेंट चढ़ रही है, तो वहीं ग्रामवासी आज भी मौलिक सुविधाओं के लिये तरसकर कष्ट भोग रहे हैं। 

 

 

अभी तत्काल का मामला ग्राम पंचायत मोहंगाँव (धूमा) का है, जहाँ के आसन्न दो ग्राम सुक्कम-भुरकुण्डी में पेयजल की भयावह कमी को देखते हुये शासन ने ग्रामीण नल-जल योजना के माध्यम से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल घर-घर पहुँचाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में 472000 की राशि स्वीकृत की थी। इसके लिये क्रियान्वयन के लिये ग्राम पंचायत मोहंगाँव धूमा ने माह अप्रैल 2018 से कथित कार्य प्रारम्भ किया है, जिसमें सूत्रों के अनुसार लगभग 350000 की राशि व्यय कर दी गई है, हालांकि पंचायत द्वारा इसका अधिकृत ब्यौरा पंचायत दर्पण की आधिकारिक बेबसाइट से अभी तक छिपाया गया हैं। परन्तु आज दिनाँक तक ग्रामीणों को एक बून्द भी पेयजल उक्त नल-जल योजना से नहीं मिला हैं। ग्रामीण आज भी खतरे से भरे कुओं से गन्दा पानी लेने को मजबूर हैं। 

 

 

गौर करने वाली बात यह है कि इन दो ग्रामों में पेयजल संकट दूर करने के लिये पूर्व में वर्ष 2003-04 में लोक स्वास्थ्य याँत्रिकी विभाग द्वारा सार्वजनिक कूप बनाकर, उससे लेकर पाइपलाइन का जाल पूरे ग्राम में फैलाया गया था। जिसके माध्यम से घर-घर पानी पहुँचता था। यह योजना कई वर्षों तक सक्रिय रही, एवं कालान्तर में बन्द पड़ गई; लेकिन ये पाइपलाइन स्त्रोत कुँये से लेकर ग्राम में यथावत बिछी हुई हैं। 

खैर सबसे बड़े कमाल की बात तो ये है कि दिनाँक 21/01/2020 को “द लोकनीति” में प्रकाशित समाचार से हरकत में आई पंचायत मोहंगाँव धूमा ने लीपापोती करते हुये कुछ प्लास्टिक पाइप वर्षों पुरानी उक्त नल-जल योजना के पाइपों से जोड़कर उसकी सप्लाई ग्राम के दो कुँओं में सीधे डाल दी गई हैं। जिससे ये दिखावा किया जा सके कि उक्त योजना में सुधार करके नल-जल योजना सुचारू कर दी गई हैं। जबकि हाल में स्वीकृत राशि से सम्पूर्ण नल-जल योजना का सुधार, मरम्मत कर घर-घर पेयजल उपलब्ध कराना था। 

 


    

सुक्कम-भुरकुण्डी के ग्रामीणों के आरोपों के आधार पर आज पुन: “द लोकनीति” की टीम ने पड़ताल की तो ये बात खुलकर सामने आई कि पंचायत ने समाचार प्रकाशन से भयभीत होकर अपनी कारगुजारियाँ व शासन की राशि के दुरुपयोग पर पर्दा डालने के लिये हाल ही में ये लीपापोती की है! क्योंकि पिछले समाचार संकलन के समय ऐसा कोई कार्य धरातल पर नहीं था। नल-जल योजना पर न कोई सुधार हुआ था, न ही उक्त कुँओं तक कोई पाइपलाइन ही थी। वैसे भी इस दिखावे से न शासन की बेशकीमती राशि की बर्बादी छिप रही है, न ही लोगों को शुद्ध पेयजल घर मोहल्ले तक मिल पा रहा हैं। आज भी ग्रामीण जान हथेली पर लेकर खतरनाक कुँओं से गन्दा पानी पीने पर मजबूर हैं। 

क्या 472000 की भारी-भरकम राशि से पुरानी नल-जल योजना में सुधार करके घर-घर पानी नहीं पहुँचाया जा सकता है? 

ये हो सकता है, यदि पंचायत मोहंगाँव धूमा के जिम्मेदार ईमानदार जनसेवक होते। यदि शासकीय राशि को निज स्वार्थ की भेंट चढाना है तो ऐसे हथकंडे ही अपनाये जायेंगे। इस विषय को उठाने पर आला अधिकारी जाँच की बात तो कह रहे हैं, पर क्या वाकई जाँच होगी, होगी तो आखिर कब होगी; और क्या ईमानदारी से सूक्ष्म जाँच हो पायेगी। यदि सही निष्पक्ष जाँच हो तो दोषियों पर कार्यवाही भी होंगी और जनता को शासन की योजना का लाभ भी मिलेगा। 

आँगनबाड़ी में शौचालय निर्माण भी चढ़ सकता है पंचायत के स्वार्थ की बलि

ग्राम पंचायत मोहंगाँव धूमा के नल-जल योजना में सम्भावित बड़े घोटाले के साथ एक और गड़बड़ी सामने आ रही हैं। यहाँ दो सम्मिलित ग्रामों सुक्कम-भुरकुण्डी के आँगनबाड़ी केन्द्र के लिये शौचालय निर्माण स्वीकृत किया गया है, जिस पर 26/01/2020 से कार्य प्रारम्भ होना तय हैं। इसके लिये शासन ने 24000 की राशि स्वीकृत कर दी है, परन्तु इस पर भी आज दिनाँक तक कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया हैं। जबकि निर्माण सामग्री क्रय के नाम पर 10900 रुपये के दो बिल लगा दिये गये हैं, जो संदिग्ध लगते हैं। क्योंकि पंचायत दर्पण पर इनका भुगतान क्रमश: बिल क्रमांक 361, 362 पर है, जबकि दोनों बिल एक ही अर्थात् 361 ही है! तो क्या ग्राम पंचायत मोहंगाँव धूमा आँगनबाड़ी के शौचालय में भी घोटाला करने का मौका बना रही हैं। हमारे समाचार संकलन के दौरान आँगनबाड़ी केन्द्र के सामने कुछ ईंटें, नाममात्र की गिट्टी व बहुत थोड़ी सी रेत पड़ी मिली; जो शायद दिखावे के लिये कई दिनों से पड़ी हुई हैं। क्योंकि शौचालय निर्माण प्रारम्भ होने का कोई भी चिन्ह उक्त आँगनबाड़ी में कहीं नहीं हैं। 

 

 

इन सब गड़बड़ियों और सम्भावित भ्रष्टाचार को देखकर सैकड़ों प्रश्न उठते हैं। क्या ग्राम पंचायत के इन कथित विकास कार्यों की समीक्षा या जाँच नहीं होती है? क्या इन मदों पर हुये व्यय पर मूल्यांकन नहीं होता है? आखिर कैसे ऐसे घपले घोटाले पंचायतें खुलेआम कर रही हैं? क्या अधिकारी कभी धरातल पर आकर इन कार्यों की वास्तविक स्थिति देखते हैं? इन प्रश्नों के उत्तर कभी न मिल सकेंगे। क्योंकि औपचारिकता के लिये ऑडिट होते हैं, आय व्यय का ब्यौरा भी देखा जाता होगा, सोशल ऑडिट के माध्यम से धरातलीय सर्वे भी होते होंगे, यही नहीं गुणवत्तापूर्ण कार्य दिखाकर इनका मूल्यांकन कर शासकीय राशि निपटाने के रास्ते भी खोले जाते होंगे। 

 


     
कदम कदम पर अनियमिततायें, गड़बड़ियाँ, घटिया व गुणवत्ताहीन कार्य, शासकीय राशि की बर्बादी जैसे मनमाने काम केवल ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव और पंचायत से जुड़े चन्द लोग अकेले नहीं कर सकते। इसमें सम्बन्धित अधिकारियों की धृतराष्ट्र दृष्टि एवं मूक सहमति भी शामिल हैं। यदि अधिकारियों ने वास्तविक समीक्षा की होती तो न शासन की बहुमूल्य राशि नष्ट होती, न जनता को सुविधाओं से वंचित होना पड़ता। 

“द लोकनीति” लगातार मानव जीवन की मौलिक आवश्यकता पेयजल पर खबरों का प्रकाशन कर रहा है, अब देखना यह है कि शासन की लाखों रुपये स्वाहा करने वाली ग्राम पंचायत मोहंगाँव धूमा के जिम्मेदारों पर कब कार्यवाही होती हैं। और कब ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उनके घर मोहल्ले तक नसीब होता हैं। 

इनका कहना है

“आपके द्वारा मामला मेरे संज्ञान में लाया गया है, हम इसकी जाँच पीएचई से कराएंगे कि किस प्रकार के और कितने पाइप डाले गये हैं। इसके साथ ही जाँच कराएंगे कि किस वर्ष की राशि है और कितना व्यय किया गया हैं। पेयजल हमारी प्राथमिकता है, शासन से जनता शुद्ध पेयजल की अपेक्षा रखती है, हम व्यवस्था करेंगे। 

शफी मोहम्मद कुरैशी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत लखनादौन 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button