मध्यप्रदेश/इंदौर – मध्यप्रदेश में बिजली एक बार फिर महंगी करने की तैयारी हैं। कंपनी का दावा है कि उसे घाटे की भरपाई के लिए 2600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय की आवश्यक्ता हैं। ऐसे में औसत इजाफा 6 फीसद करना होगा। इसमें घरेलू उपभोक्ता के बिलों में कंपनी आठ फीसद दाम बढ़ाना चाहती हैं।
बता दे कि उपचुनाव के नतीजों के बाद बिजली के दाम में दूसरी दफा करंट आया है। 26 दिसंबर को मप्र विद्युत नियामक आयोग ने 1.98 फीसद बिजली के दाम बढ़ाने की मंजूरी थी।
100 रुपये में 100 यूनिट बिजली योजना के दायरे से आयकर दाताओं को बाहर करने के साथ सरकार प्रदेश में बिजली की दरें भी महंगी करने की तैयारी में हैं। मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा राज्य विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर करने के बाद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इसका इशारा कर दिया हैं। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली योजना के दायरे से आयकर दाताओं को बाहर इसलिए किया गया है, क्योंकि उन्हें इसकी जरूरत नहीं है।
गुरुवार को इंदौर पहुंचे मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि कहा हम कोशिश कर रहे हैं कि खर्चे कम हों, जिससे आम जन को सस्ती बिजली मिल सके। हालांकि उन्होंने कहा दिल्ली जैसी सस्ती बिजली मध्यप्रदेश नहीं दे सकता क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार किसानों को 14 हजार करोड़ से ज्यादा की सब्सिडी दे रही हैं। दिल्ली में किसान नहीं हैं इसलिए दिल्ली सरकार की बचत होती है और वो आम लोगों को सस्ती बिजली दे रही हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को एक यूनिट बिजली 8 पैसे में मुहैय्या कराई जा रही हैं। आम जनता को साढ़े चार हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जा रही हैं। साथ ही राज्य के 92 लाख उपभोक्ताओं को 100 यूनिट बिजली 100 रुपए में दी जा रही हैं। एक उपभोक्ता पर 459 रुपए सब्सिडी सरकार दे रही हैं।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश देश का पहला प्रदेश है जो बिजली सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के खातों में डालने का प्रयोग कर रहा हैं। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो उसे पूरे प्रदेश में इसे विस्तार से लागू किया जाएगा। बिजली कंपनी के निजीकरण पर मंत्री तोमर ने कहा जो जनहित का फैसला होगा वो सर्वसम्मति से लिया जाएगा।