राष्ट्रभक्ति का चोला पहनकर BJP-कांग्रेस ने किया शहीद चन्द्रशेखर आजाद का अपमान ?????

राष्ट्रभक्ति का चोला पहनकर BJP-कांग्रेस ने किया शहीद चन्द्रशेखर 'आजाद' का अपमान 

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा को हटाकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की प्रतिमा लगाई गई है. भोपाल नगर निगम ने नानके पेट्रोल पंप तिराहे पर चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा की जगह पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की प्रतिमा लगा दी है. बता दें कि 3 साल पहले ट्रैफिक समस्या का हवाला देकर यहां से आजाद की प्रतिमा को हटा दिया गया था. लेकिन अब निगम ने उसी जगह अर्जुन सिंह की प्रतिमा लगा दी है.

शहीद बड़े या नेता 


अर्जुन सिंह एक भारतीय राजनेता थे और कभी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे. इनके समय में 1984 में भोपाल में गैस त्रासदी हुई है. इसके अलावा वो केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री भी रह चुके हैं.
अर्जुन सिंह के परिवार का नाता सीधी के चुरहट राज परिवार से है. वो राज्य के मुख्यमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.
पंजाब के राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल चर्चाओं में रहा. उनके पुत्र अजय सिंह सियासत में हैं. लोकसभा चुनाव में अजय सिंह पर कांग्रेस ने दांव लगाया था, मगर उनको हार मिली थी.

जबकि देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले का भाबरा में हुआ था.
1920 में चंद्रशेखर आजाद 14 साल की उम्र में ही असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। 27 फरवरी 1931 को आजाद जब सुखदेव राज से मिलने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें घेर लिया था.
दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हुई थी. आजाद ने तीन पुलिसवालों को मार गिराया था और फिर बाद में खुद को गोली मार ली थी।
इस तरह भारत मां का यह सपूत हमेशा आजाद रहा, क्योंकि उन्होंने खुद से वादा किया था कि वह कभी भी अंग्रेजी हुकूमत के हाथों नहीं पकड़े जाएंगे. सवाल ये है कि क्या आज के दौर में चंद्रशेखर आजाद बड़े हैं या अर्जुन सिंह. खास बात ये है कि चंद्रशेखर आजाद का जन्म भी मध्य प्रदेश में ही हुआ था. उसके बाद भी उनकी जगह अर्जुन सिंह की प्रतिमा लगा दी गई है. हालांकि अर्जुन सिंह की प्रतिमा का अनावरण होना अभी बाकी है।

सबसे बड़ा सवाल ???


शहीद बड़े या नेता 

क्या जो राजनैतिक पार्टियाँ दुसरो को राष्ट्रभक्ति का Certificate देती हैं ?
क्या उनकी training इतनी कमज़ोर हो गई हैं ,

मौज़ूदा हालात में तो लगता है कि आजकल कुछ भी संभव हैं ????

क्योंकि सत्ता के लालच में सब सिद्धांतो ,विचारधाराओं से समझौता कर लिया जाता हैं 
उदहारण के तौर पर ताज़ा मामला देखने को मिला महाराष्ट्र में 
यहाँ वही शिवसेना जो वीर सावरकर के लिए भारत रत्न चाहती है,वह सत्ता के लिए कांग्रेस से मिलने की कोशिश  कर रही हैं ,ओर ठीक  इसके उल्टा कांग्रेस ने सावरकर को महात्मा गांधी का हत्यारा कहा,लेकिन जब सत्ता का नशा लेना होता है तो कही बोली बातें केवल काल्पनिक ही नज़र आती हैं | 

 

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