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मप्र उपचुनाव : बीजेपी-कांग्रेस के सामने क्या हैं बड़ी चुनौतियाँ," क्या है हार-जीत के समीकरण "

2018 के चुनाव में उपचुनाव वाली 28 में से 27 सीटों पर कांग्रेस को 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिली थी.

भोपाल/भारती चनपुरिया : –  मध्यप्रदेश(Madhyapradesh) में  उप चुनाव ( By election) में भाजपा(BJP) और कांग्रेस(Congress) जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं l दोनों पार्टियों के सामने जीत को लेकर चुनौतियाँ भी कम नहीं है l भाजपा  के सामने सबसे बड़ी चुनौती वोटों के अंतर को बाटना , तो कांग्रेस के सामने बढ़त वाले वोटों को बरकरार रखने की चुनौती है l भाजपा को जीत के लिए 4.15 लाख वोटों के अंतर को खत्म करना होगा, वहीं कांग्रेस को जीत के बड़े अंतर को बरकरार रखना होगा l

 2018 में 28 में से 27 सीटों पर कांग्रेस को मिली थी जीत : –

आप को पता हो  2018 के चुनाव में कांग्रेस, भाजपा से इन 27 सीटों पर वोट %प्रतिशत में आगे थी. उप चुनाव वाली 28 सीटों में से 27 सीटें कांग्रेस  लाख वोटों से जीती थीं. केवल एक सीट आगर भाजपा के पास गई थी l 22 में से 20 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे. 22 में से 20 सीटों पर जीत और हार का अंतर 10 प्रतिशत से कम रहा था. दल-बदल के कारण अब भाजपा और कांग्रेस के सामने वोटों के अंतर को कम करने और वोट प्रतिशत बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है l

ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस का  फोकस : –

 कांग्रेस वोट प्रतिशत बरकरार रखने के लिए परंपरागत वोट बैंक पर फोकस कर रही है l पार्टी ग्रामीण, आदिवासी और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले मतदाताओं पर ज्यादा फोकस कर रही है l ग्वालियर-चंबल इलाकों में शहरी और ग्रामीण मतदाताओं पर पार्टी की नजर है. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ग्वालियर और चंबल विजय के बूते सत्ता पर आई थी l

भाजपा का ग्वालियर क्षेत्र पर ज्यादा फोकस ये है रणनीति : –

उपचुनाव में वोटों के अंतर को कम करने के लिए भाजपा शहरी इलाकों में वोट प्रतिशत बढ़ाने पर जोर दे रही है, तो वहीं वोटरों से लगातार संपर्क भी कर रही है l ग्रामीण-आदिवासी और पिछड़ा क्षेत्र में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने पर फोकस किया है l नए वोटरों को जोड़ने की कवायद के साथ भाजपा का ग्वालियर क्षेत्र पर ज्यादा फोकस है l क्योंकि भाजपा को 2018 के चुनाव में यहीं से हार को तगड़ा झटका लगा था l

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