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अहंकार बचाने हेतु सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले रही मोदी सरकार !

अहंकार बचाने हेतु सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले रही मोदी सरकार ! किसानों के बयान के बाद गई बैक फुट में !!
नई दिल्ली/राजकमल पांडे।
तीन नए कृषि कानून बिल के विरोध में देश भर के किसान प्रदर्शन रहे हैं, जिसके बाद से केन्द्र सरकार लगातार अपने लाए तीन नए कृषि कानून बिल को लेकर बैकफुट में पहुंच रही है. इसी बीच किसान आंदोलन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि वो किसानों के प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार करती है और वो किसानों के राइट टू प्रोटेस्ट के अधिकार में कटौती नहीं कर सकती है. वहीं सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि किसान अपना प्रदर्शन भी करे और लोगों के अधिकारों का उल्लघंन भी न हो. किसानों की दुर्दशा और उसके कारण सहानुभूति के साथ हैं लेकिन आपको इस बदलने के तरीके को बदलना होगा और आपको इसका हल निकालना होगा. व कोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा कि क्या वो किसानों से बातचीत के दौरान कृषि कानूनों को होल्ड करने को तैयार है? तब अटार्नी जनरल ने इस पर कहा कि वो सरकार से इस पर निर्देश लेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पहले किसानों के आंदोलन के जरिए रोकी गई रोड और उससे नागरिकों के अधिकारों पर होने वाले प्रभाव पर सुनाई करेंगे. वैधता के मामले को इंतजार करना होगा.
और उधर हरियाणा और दिल्ली के बीच टिकरी बाॅर्डर पर डटे किसानों ने दो टूक कहा कि वे सरकार से आगे भी बातचीत जारी रखेंगे व अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे. और एक किसान ने कहा कि सरकार अपने अहंकार को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले रही है. हम बातचीत के अन्य चरणों के लिए तैयार हैं. पर सरकार अहंकार को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले रही है. 
इसी बीच केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम एक चिट्ठी लिखी है. जिसमें चिट्ठी पर उन्होंने किसानों को सम्बोधित करते हुए समझाने की कोषिष कर रही है. पर सरकार के किसी भी झांसे में आने को किसान राजी नहीं है. किसानों का कहना है कि तीन नए कृषि कानून वापस लिए जाएं बस लिए
जाएं.
 

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