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तय सीमा से ज्यादा खनन कर रहे हैं पट्टा धारक, खनिज विभाग नहीं कर रहा लीज की भी जांच

 
छोटी खदानों के पट्टे निरस्त कर रहा है विभाग, अगर जांच करें तो सामने आएंगे असली खनन माफिया
सीमा से ज्यादा खनिज निकालकर खदानों को पाताल की स्थिति में पहुंचाया जा रहा है,

भोपाल : आयुषी जैन : राजधानी में 180 खदानें मिट्टी मुरम और कोबरा की चल रही है एक बार आवंटन के बाद विभाग कभी भी इन खदानों में नपती करने नहीं जाता है इस कारण बड़ी संख्या में खदान पट्टा धारक मनमाना खनन कर रहे हैं. सीमा से ज्यादा खनिज निकालकर खदानों को पाताल की स्थिति में पहुंचाया जा रहा है जबकि नियमानुसार खदान संचालकों को हर माह खदानों की जांच करनी होती है पर यहां अपनी मनमानी चल रही है. खनिज विभाग के अधिकारी सिर्फ खदान से बाहर निकलने वाले डंपर में रॉयल्टी की जांच करते हैं. अगर खदानों की जांच की जाए तो कई बड़े रसूखदार जिन्होंने अन्य नाम से खाता ने ले रखी है उनकी चोरी पकड़ी जा सकती है.

रोजाना 300-400 डंपर मुरम, कोबरा और गिट्टी के बैरसिया, नीलबड़, रतुआ, रतनपुर रातीबड़ व अन्य क्षेत्रों की खदानों से निकलते हैं. इससे पता चलता है कि राजधानी में जमकर खनन किया जा रहा है, लेकिन किस खदान से कितने घन मीटर खनन खनिज निकाला गया है इसकी जानकारी कभी नहीं की जा रही है. 

लीज की जांच भी कभी नहीं की जाती है
इसके अलावा निर्माण कंपनी को दी गई लीज की भी कोई जांच नहीं की जाती है. खदान के अलावा निर्माण कंपनियों को समय-समय पर दी जाने वाली लीज की जांच भी कभी नहीं की जाती है. एजेंसियां दो एकड़ में लीज लेने के बाद आसपास के किसानों से सांठगांठ कर खेतों से मोरम निकालकर अपने निर्माण कार्यों में लगाने लगती है. अमला तब जगता है, जब मामला मीडिया में आता है तब जुर्माने की कार्रवाई करता है. जबकि इनकी जांच भी समय-समय पर करनी होती है. हम आपको बता दें, वर्तमान में शहर में 8 एजेंसियों ने अलग-अलग स्थानों पर लीज रखी है.

इन सब मामलों पर जिला खनिज अधिकारी राजेंद्र सिंह परिवार का कहना परमार का कहना है- कि ऐसा नहीं है कि आमला जांच नहीं करता है, हम समय-समय पर खदानों की जांच कर प्रकरण बनाते हैं और इस समय भी कई खदानों की जांच चल रही है

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