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Badwani: पेट्रोल-डीजल व गैस की खोज में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड पहुंची अंजड़

बड़वानी/अंजड़ से हेमंत की रिपोर्ट – पेट्रोल-डीजल व गैस की खोज के लिए ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) का दल शनिवार अंजड़ क्षेत्र के अंचल में पहुंचा। टीम ने शहर से 12 किमी दूर गांव के मोहीपुर के रास्ते पर नर्मदा बेक्ट में खोज की। खोज आधुनिक तरीके से की गई, जिसे 2-डी सर्वे नाम दिया। सर्वे मप्र के कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में ही हो रहा है। इनमें एक अंजड़ का एरियाभी शामिल हैं। बता दे कि सर्वे महाराष्ट्र बार्डर से राजस्थान पहुंचेगा।

 

 

सर्वे हैदराबाद की कंपनी अल्फा जियो इंडिया लिमिटेड कर रही हैं। टीम रोज 5 किमी में सर्वे कर रही हैं। यदि पेट्रोल, डीजल और गैस मिलने की संभावना होगी तो 3-डी सर्वे होगा।

द्वितीय चरण में 3-डी सर्वे

 

प्रथम चरण के 2-डी सर्वे में यदि रिपोर्ट पॉजीटिव मिलती है तो अगला चरण उक्त क्षेत्र में प्रारंभ होता है। इसे 3-डी नाम दिया गया है। आधुनिक उपकराणों व मशीनों से सर्वे किया जाता है। सर्वे की रिपोर्ट दिल्ली में ओएनजीसी के पास जाती है और वहां से फाइनल रिपोर्ट आती है।

मप्र में तीन टीम

 

 

मप्र में सर्वे के लिए तीन टीम काम कर रही है। प्रत्येक टीम के अधी लगभग 10 से 12 जिले हैं। प्रदेश के महज 32 जिलों में ही सर्वे होगा। एक टीम ने गत माह गुजरात की बार्डर अलीराजपुर से सर्वे शुरू किया जो झाबुआ, रतलाम और नागदा होते हुए राजस्थान पहुंचेगा।

क्या होता है सेस्मिक सर्वे 

 

 

सर्वे धरती की आंतरिक संरचना की जानकारी के लिए किया जाता है। इसमे जमीन के अंदर तक 15 किमी गहराई तक की जानकारी मिलती है। ये सर्वे सीधी रेखा में ही होता है। टेस्टिंग बाद तरंग पैदा होती है, जो जमीन में लंबी दूरी तक जाती है और रिफ्लेक्ट होकर ऊपर आती है। इसे सेंसर के माध्यम से कंट्रोल यूनिट में अत्याधुनिक यंत्र में रिकॉर्ड किया जाता हैं। इसके बाद प्रोसेसिंग डाटा भेजा जाता है। जहां से लगभग एक माह में पता चलता है कि क्षेत्र में पेट्रोलियम पदार्थ की संभावना है या नहीं। यदि संभावना नजर आती है तो डिटेल सर्वे होते हैं। फिर ड्रिलिंग होती है।

कैसे हो रहा है सर्वे

सर्वेयर सर्वे करते हैं। केबल लाइन डलती है। हर 60 से 70 मीटर की दूरी पर हालैंड तीनों दिशा में लगभग 8 से 10 लगभग 120 फीट तक के बोरिंग किए जा रहे हैं। इसके बाद बोरिंग में एक्सप्लोसिव डाले जा रहे हैं, जिसे लेडिंग करते हैं। तीनों दिशाओं के मध्य में एक ट्रक में रिकॉर्डर मशीन लगी होती है। इसे शूटर ब्लास्टिंग करते हैं। इससे जमीन में विस्फोट होता है, जैसे ही शूटर ब्लास्टिंग करता है, उसी दौरान जमीन के अंदर का सारा डाटा ट्रक में लगे संसाधान में रिकॉर्ड हो जाता है। डाटा को सिम्मोलाजिस्ट देखता है और रिजल्ट पता चलता है कि क्षेत्र में पेट्रोल, डीजल या गैस होने की संभावना है या नहीं। एक स्थान पर ट्रक 5 से 7 घंटे तक खड़ा रहता है।

दूसरी टीम मनावर से सर्वेकर जबलपुर की ओर जाएगी। तीसरी टीम विदिश जिले में सर्वे करेगी। प्रदेश के आष्टा, सीहोर व देवास में भी सर्वे हो गया। एक टीम में लगभग 500 लोग शामिल हैं। हम ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से हैदाराबाद से सर्वे करने आए हैं। जीमन के अंदर पेट्रोल, डीजल व गैस की खोज कर रहे हैं।

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