महिलाओं में मासिक धर्म आशीर्वाद या अभिशाप ?

New-Delhi:- अयोध्या फ़ैसले के बाद सबरीमाला पर देश की नज़रें सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फ़ैसले पर टिकी हुई है,बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि हर उम्र की महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर पूजा कर सकती हैं. इस फ़ैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिकाएं दायर की गई थीं.

क्या है सबरीमाला मंदिर की मान्यता

सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष तक की महिलाएं, जो रजस्वला हैं यानि की जिन्हे मासिक धर्म होता है उनके प्रवेश पर पाबंदी है. इसके पीछे की मान्यता यह है कि इस मंदिर के मुख्य देवता अयप्पा ब्रह्मचारी थे. ऐसे में इस तरह की महिलाओं के मंदिर में जाने से उनका ध्यान भंग होगा.

धर्म और महिलाएं

 

लिंग आधारित समानता को मुद्दा बनाते हुए महिला वकीलों के एक समुदाय ने 2006 में कोर्ट में याचिका डाली थी. दरअसल, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को 'अपवित्र' माना जाता है और कई मंदिर इस कारण महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा देते हैं.
साल 2016 में छात्राओं के एक समूह ने इस परंपरा के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू किया था. बता दें कि ये अभियान सबरीमाला मंदिर के प्रमुख के बयान के विरोध में छेड़ा गया था. प्रयार गोपालकृष्णन ने कहा था कि वह महिलाओं को तभी मंदिर में प्रवेश की इजाज़त देंगे, जब ऐसी मशीन का आविष्कार हो जाएगा जो यह पता लगा सके कि वे 'पवित्र' हैं या नहीं. उनका मतलब ऐसी मशीन से था जो यह पुष्टि कर पाए कि महिलाओं के पीरियड्स नहीं आ रहे हैं. गोपालकृष्णन ने कहा था, “एक ऐसा समय आएगा जब लोग मांग करेंगे कि सभी महिलाओं को पूरा साल मंदिर में आने से रोक दिया जाए.” उन्होंने कहा था, “आजकल ऐसी मशीनें हैं जो शरीर को स्कैन कर सकती हैं और हथियारों का पता लगा सकती हैं. एक दिन ऐसी मशीन बनाई जाएगी जो स्कैन कर सकेगी कि यह महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के लिए 'सही समय' है या नहीं. जब इस तरह की मशीन का आविष्कार हो जाएगा, हम महिलाओं को अंदर आने की इजाज़त देने पर बात करेंगे.” गोपालकृष्णन इन टिप्पणियों का कड़ा विरोध हुआ और महिलाओं ने फेसबुक पर #HappyToBleed अभियान छेड़ा और उनके बयान को 'लिंगभेदी' बताया.

जिस औरत के मासिक चक्र की वजह से स्रष्टि का निर्माण होता है,पुरुषों का जन्म होता है वही मासिक चक्र महिलाओं के लिए छुआछूत और अभिशाप बन जाता है 

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