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मनमोहन सिंह ने मोदी की नीतियों का कड़ा विरोध किया- मोदी सरकार अहम में स्लोडाउन को स्वीकार नहीं कर रही

 

 

  • मनमोहन सिंह ने कहा, 8% ग्रोथ रेट के लिए मोदी सरकार को वित्तीय नीतियां बदलनी चाहिए
  • पी चिदम्बरम ने भी मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि निर्मला सीताशरण को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए

 नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार फिर अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि मोदी सरकार यह स्वीकार नहीं ही नहीं करती कि इकोनॉमी में स्लोडाउन है। सबसे खतरनाक बात तो ये है कि जब उन्हें समस्याओं का ही नहीं पता, तो वो ठीक कैसे करेंगे। मनमोहन सिंह ने यह बात योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की किताब ‘बैकस्टेज: द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स’ के विमोचन के मौके पर कही।

जब देखो भाजपा सरकार के मंत्री हर जगह बयान देते फिर रहे हैं कि किसानों की आय 3 साल में दो गुनी कर देंगे।
“किसानों की आय 3 साल में दोगुनी कैसे होगी, बिना कोई प्लान के, यह समझना थोड़ा मुश्किल है”

मनमोहन सिंह के मुताबिक, ‘‘योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने अपनी किताब में यूपीए सरकार के अच्छे और खराब दोनों कामों के बारे में लिखा है। इन पर हमेशा चर्चा होती रहेगी। लेकिन मौजूदा सरकार स्लोडाउन को मानने को तैयार तक नहीं है। उन्हें समस्याएं नहीं दिख रही है। यह देश के लिए अच्छा नहीं है। मोंटेक सिंह 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर हासिल करने के सरकार के दावे को सकारात्मक सोच बताते हैं। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि तीन साल में किसानों की आय दोगुनी कैसे हो जाएगी।’’

‘‘मोंटेक ने अपनी किताब में यह भी कहा था कि हमें 8% विकास दर के लिए काम करना होगा, लेकिन इसके लिए वित्तीय नीति के बारे में दोबारा से सोचना पड़ेगा। इसके लिए टैक्स सुधारों को भी सख्ती से लागू करने की जरुरत होगी। उन्होंने ये भी कहा, मैं पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव, पी चिदंबरम और मोंटेक का आभारी हूं, जिन्होंने 1990 के दशक में अर्थव्यवस्था में उदारवाद लाने में सहयोग किया था।’’

सिंह ने कहा- जिसे अर्थव्यवस्था का अ भी नहीं पता उसके हाथ में अर्थव्यवस्था को सुधारने का जिम्मा

कार्यक्रम में शामिल पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा, ‘‘पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रामण्यम ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था को गहन चिकित्सा की जरूरत है।अगर वक्त पड़ते चिकित्सा न की गयी तो बीमार अर्थव्यस्था को व्हीलचेयर पर बैठाकर आईसीयू में ले जाया जायेगा। अक्षम डॉ मरीज का इलाज करने में लगे हैं।

‘‘इस समय के हालात ये हैं कि देश में बेरोजगारी बढ़ रही है, खपत में गिरावट है, लेकिन सरकार कह रही है कि all is well। इसका मतलब यह है कि हमें अर्थशास्त्र की किताबों को दोबारा से लिखना होगा, दोबारा से पढ़ना होगा। हर इंडिकेटर यही बता रहा है कि अर्थव्यवस्था मर रही है। इस हालत में जीडीपी ग्रोथ 7-8% कैसे बढ़ सकती है? मेरी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सलाह है कि वे इस्तीफा दे दें, अगर कुछ नहीं कर सकतीं तो।

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