जनता बिजली बिल से त्रस्त ,वही अधिकारी हुए मस्त ,लोग बोले -“मम्मा से अच्छे थे कमलनाथ “
लॉकडाउन में जमा नहीं हो पाया था बिजली का बिल ,जब घर में नहीं था कोई तो कर्मचारियों ने काट दी लाइन : सिहोरा में अंधेरे में रहने को मजबूर गरीब महिला का परिवार
द लोकनीति डेस्क सिहोरा
सिहोरा :
मध्यप्रदेश सरकार बदलते ही अब भाजपा शासन में बिजली विभाग की मनमानी चरम सीमाओं को पार कर रही है
एकतरफ़ राजधानी भोपाल से आदेश तो CM शिवराज साहब कर देते हैं लेकिन जमीनी हक़ीक़त कुछ और ही नजर आती है |
बिजली विभाग का ऐसा चलता है खेल : जनता त्रस्त वही विभाग के अधिकारी मस्त
लाइनमैन और अधिकारी की चलती है मनमानी ,किसी का मीटर लगना हो तो रिश्वत ,मीटर वाचक हर महीने रीडिंग लेने नहीं आते ,यदि आ भी जाए तो एवरेज रीडिंग लगाकर,फ़िर ज़्यादा रीडिंग का डर दिखाकर वसूले जाते हैं जमकर पैसे |
ताज़ा मामला जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील का है जहां बिजली बिल वसूलने गए बिजली कंपनी के लाइनमैन ने राधा बाई के घर की बिजली काट दी | महिला का कहना था कि लॉक डाउन के दौरान बिजली का बिल जमा नहीं कर पायी | महिला का आरोप हैं कि बिजली कंपनी के कर्मचारियों ने मार्च से बकाया बिजली बिल की वसूली करने आये थे | उस वक्त घर में कोई नहीं था | उसी दौरान कर्मचारियों ने उनके घर के बिजली काट दी | यहां सोचने की बात यह है कि बिजली कम्पनी के अधिकारी किसी की लाइन काटने से पहले सम्बंधित को नोटिस देना तक जरूरी नहीं समझते |
वर्षों से जमे लाइनमैन,तबादला नीति का अता -पता नहीं : सिहोरा नगर और ग्रामीण इलाको में वैसे तो लाइनमैन गिने -चुने है,लेकिन इनकी पैठ अधिकारी से लेकर जनता को डराने का पावर रखती है क्योंकि इनके पास बिजली का पावर है ,जिसका मन चाहा कनेक्शन काट दिया तो इनसे लोग डरते है |
सरकार की तबादला निति यहां लागू नहीं होती जबकि ये लाइनमैन कई सालों से अंगद की तरह अपना पैर जमाये बैठे हैं |
जनता करें भी तो करे क्या ??….बस कहने लगी मामा से तो अच्छे थे कमलनाथ। . बिजली के बिलों में मिली थी हमे राहत
शहर वासियों का कहना हैं की हमारे मीटर में करंट आये या न आये लेकिन बिजली बिल हमें करंट जरूर दे रहा है ,इससे अच्छा काम तो पूर्व की कमलनाथ सरकार ने किया था जिसमे हमे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की देन से उस समय “मध्यप्रदेश सरकार ने हर माह 150 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले सभी घरेलू उपभोक्ताओं को शुरुआती 100 यूनिट बिजली एक रुपये की दर से देने का फैसला किया था ।
यह वाक़ई बेहद अच्छी योजना थी जिसमे सभी को सरकार से लाभ मिल रहा था ,इसमें जागरूकता का संदेश भी था जिसमे हम बिजली की बचत कर प्रदेश के अन्य कामों में बिजली का उपयोग कर रहे थे ,फ़िर क्या सरकार को गिरा दिया गया और अब जनता त्रस्त हो चुकी हैं , अब जनता तो जनार्दन है कहने
लगी “मम्मा” से तो अच्छे थे “कमलनाथ” …