MP के घटिया चावल मामले में मोदी सरकार ने शिवराज को घेरा,मच गया तहलका पढ़िए पूरी ख़बर

MP के घटिया चावल मामले में मोदी सरकार ने शिवराज को घेरा,मच गया तहलका पढ़िए पूरी ख़बर
- केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की CAGL(Central grain analysis laboratory )लैब ने किया खुलासा : ग़रीबो को बांटा गया चावल जानवरों के लायक़ नहीं
- 21 अगस्त को केंद्रीय खाद्य मंत्रलाय ने प्रदेश के खाद्य मंत्री को लिखा था पत्र
- किरकिरी के बाद हरक़त में आयी थी शिवराज सरकार ,बालाघाट के ज़िला प्रबंधक ,मंडला के फ़ूड इंस्पेक्टर को हटाया
- प्रदेश के सभी गोदामों में रखें चावल की FCI के साथ मिलकर राज्य सरकार कर रही जाँच लेकिन जांच में नहीं किसी को कोई आंच
द लोकनीति डेस्क भोपाल
मध्यप्रदेश में सरकारों का इतिहास रहा है कि उन्होंने समय -समय पर गरीबों की थाली भी अपने भ्रष्टाचार के लिए चुनी है,शायद यही वजह है कि पूरे देश में मध्यप्रदेश गरीबों के राशन घोटाले को लेकर अव्वल दर्जे का प्रदेश बन गया है।
भोपाल: घटिया चावल वितरण के मामले में शिवराज सरकार को बड़ा झटका लगने की आशंका जताई जा रही है। केंद्र की मोदी सरकार ने बालाघाट, मंडला और जबलपुर समेत प्रदेश के 10 जिलों में जानवरों को दिया जाने वाला चावल मिलने पर नाराजगी जताई है. सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार राज्य को 200 करोड़ की राशि रोक सकती है. अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर सरकार के राजकोष पर पड़ेगा.
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर जब प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब माँगा गया कि कोरोना काल में मध्यप्रदेश में जानवरों से भी बदतर राशन क्यों वितरण किया जा रहा है ?????
,दरअसल यह मामला मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों मंडला और बालाघाट से सामने आया जिसमे केंद्र की CAGL लैब ने यह रिपोर्ट जारी की थी। तो अब शिवराज सरकार आनन -फ़ानन में अपनी साख बचाते हुए भोपाल के खाद्य विभाग और सम्बंधित अधिकरियों को सख्त निर्देश देते हुए गोदामों को रखे निजी फर्मो (मिलर्स) के स्टैक चावल के सैंपलों की जांच के साथ सील कर दी है। इसी तर्ज़ जब भोपाल से उच्च अधिकारियो के निर्देश आये तो जबलपुर कलेक्टर ने भी अपने सभी प्रशासनिक अमले को गोदामों में रखे चावल के स्टैक की जांच और आनन-फानन में सील करने के फ़रमान तो जारी ज़रूर कर दिए गए ।
शिवराज सरकार के इस घोटाले से मध्यप्रदेश को हो सकता है बड़ा नुकसान…..
केंद्र सरकार यदि राज्य को 200 करोड़ की राशि रोक देगी तो इसका सीधा असर सरकार के राजकोष पर पड़ेगा, अब केंद्र खुद शिवराज से इस बात को लेकर ख़फ़ा है कि जब कोरोना महामारी का दौर चल रहा है ऐसे में ग़रीब -गरीब दाने के लिए टीआरएस रहा है तो उनके निवाले से भी घोटाला करना मध्यप्रदेश शिवराज सरकार की गंदी नीयत को दिखला रहा है।
माना जा रहा है अगर ऐसा हुआ प्रदेश को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि अभी इस पर किसी तरह का कोई नोटिफिकेशन जारी नही हुआ है. ज्ञात है कि केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में डिप्टी कमिश्नर विश्वजीत हालदार ने चावल के 32 नमूनों की जांच में पाए गए पोल्ट्री ग्रेड चावल की रिपोर्ट उनके मंत्रालय को भी सौंपी है. इस पूरे मामले में राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब भी की गई है. पूरे मामले की जांच होने के बाद दोषियों पर कार्रवाई होने तक केंद्र सरकार पैसे पर प्रतिबंध लगा सकती है।
केंद्र ने कोरोना काल में भेजा पीडीएस के जरिए गरीबों को मुफ्त राशन लेकिन शिवराज ने किया ग़रीबो के साथ गंदा खेल
मोदी सरकार ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सभी राज्यों में पीडीएस के जरिए गरीबों को मुफ्त वितरण करने के लिए राशन मुहैया कराया था. इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के भी सभी जिलों में मुफ्त राशन वितरण किया गया. मंडला और बालाघाट में राशन पाने वाले हितग्राहियों ने चावल की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी.
कोरोना काल में प्रदेश के गरीबो जो शिवराज ने खिलाया वह राशन नहीं इंसानो के खाने लायक़ – केंद्र की CAGL लैब (रिपोर्ट अनुसार )
भारत सरकार के फूड एवं सिविल सप्लाई मिनिस्ट्री की टीम ने इन दोनों जिलों में गरीबों को वितरित किए गए चावल की गुणवत्ता की जांच की तो यह पोल्ट्री क्वॉलिटी (मुर्गे-मुर्गियों को चारे के रूप में दिए जाने योग्य) का निकला. चावल की गुणवत्ता परखने के लिए अभी तक 1021 सेम्पल लिए गए थे जिसमें 57 सैंपल अमानक पाए गए थे. इसके बाद शिवराज सरकार ने EOW से जांच कराने के आदेश दे दिए थे. सूत्रों की माने तो चावल घोटाले के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है.