मध्यप्रदेश में कुपोषण की हालत बेहद गंभीर ,सरकार बदली लेकिन स्तिथि नहीं ,करोड़ो से नहीं जा रहा कुपोषण

सयुंक्त राष्ट्र का कहना हैं कि भारत में हर साल कुपोषण के कारण (5 साल से कम उम्र के बच्चों )की मरने की संख्या 10 लाख़  से भी ज़्यादा हैं | 

जहाँ राजस्थान और मध्यप्रदेश में किये गए सर्वेंक्षणो में पाया गया कि देश के सबसे ग़रीब इलाको में आज भी बच्चे  भुखमरी के कारण मरते हैं | 
निचले तबके समाज में सरकार की योजना भले ही ना पहुंचे लेकिन हमारे नेतागण चुनावी दौर में उनकी थाली में खाना खाते  आपको ज़रूर दिख जायेंगे | 

 आख़िर क्या है कुपोषण (malnutrition ), 
कुपोषण को आसान भाषा में समझे तो इसके मायने हैं कि आयु और शरीर  के अनुरूप पर्याप्त शारीरक विकास न होना ,सही पोषण ,सही भोजन न मिलने से यह घोर बीमारी जन्म लेती हैं | 

आंकड़ों पर नजर डालें 
सयुंक्त राष्ट्र ने भारत में जो आकड़े पाए हैं वे वाकई अंतराष्ट्रीय स्तर से कई गुना ज्यादा हैं ,

आँकड़े वाक़ई बेहद गंभीर हैं ,लेकिन नज़रिया हमारा देश से बाहर जाते ही बदल जाता हैं ,

अमेरिका में जब देश के pm , howdy modi जैसे बड़े कार्यक्रम में  यह बोलते हैं “भारत में सब अच्छा हैं ,सब चंगासी “
तो वाक़ई चिंता औऱ अधिक बढ़ जाती हैं | 

ख़ैर इसमें ग़लती किसकी हैं , हमे समस्या तबतक नज़र नहीं आती ,जबतक आंदोलन या कुछ गरमागर्म माहौल ना हों ?
लेकिन यक़ीन मानिए इन बच्चों की गलती तो हैं ,इन बच्चों ने कोई राजनैतिक पार्टी नहीं बनाई ,होती तो शायद अबतक देश में विद्रोह की स्तिथि पैदा हो जाती | 

हालंकि भारत में फाइट हंगर foundation और SCF  india जैसी संस्थाएँ  इस चिनतजनक विषय पर कार्य कर रही हैं , सरकार की योजनायें जैसे आंगनबाड़ी इसमें योगदान दे रही हैं | 

लेकिन क्या वाकई इतने लाखो करोड़ो ख़र्च होने के बाद कुछ बदला हैं ?
अभी हाल ही में एक ताज़ा मामला सामने आया हैं,जो कि मध्यप्रदेश के सीधी जिले का  हैं 

जहाँ 18. 87 % बच्चे  गंभीर रूप से बौनेपन के शिकार हो रहे है | 
 रिपोर्ट के अनुसार सीधी जिले में 0 से 5 वर्ष  तक के 1 लाख 5 हज़ार पांच सौ दस ,बच्चों की नापी गई ऊँचाई में तक़रीबन 20 हज़ार बच्चे ऐसे मिले जो गंभीर रूप से बौनेपन के शिकार हुए 
वही 23 हज़ार से अधिक बच्चे मध्यम बौनेपन का शिकार हुए ,

जहॉ तक मध्यप्रदेश की बात करे।,15 साल शिवराज सरकार के बाद अब कांग्रेस सरकार आयी है ,लेकिन सरकार बदलीं है 
आंकड़ो की स्तिथि नहीं ,
सरकारी आकंड़ो के अनुसार 50 प्रतिशत बच्चें कम वजन के है ,तो 55 प्रतिशत मौते हुई है 
वही UNICEF भोपाल की रिपोर्ट तो कुछ और ही सुरते हाल बयां क़र रही है 
unicef  के अनुसार यह आकड़ा 64 प्रतिशत से बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया है |  

कभी सोचा हैं आपने कहाँ से आते है ये बच्चे , फ़ुरसत मिले तो सोचियेगा ज़रूर 

जलतें घऱ को देखने वालो ,फूंस का छप्पर आपका है | 
पींछे -पींछे तेज हवा है ,आगे मुक्क्दर आपका है | 
उनके क़त्ल पर मेँ भी चुप था ,मेरा नंबर अब आया है 
मेरे क़त्ल पर आप भी चुप है ,अगला नंबर आपका हैं

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