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बैतूल में भी चमत्कारी हो रहा महुआ का पेड़,पिछले आठ दिनों से ज़ारी है अन्धविश्वास का खेल,

  • बैतूल में भी चमत्कारी हो रहा महुआ का पेड़,पिछले आठ दिनों से ज़ारी है अन्धविश्वास का खेल,
  • वन व पुलिस विभाग हुआ सक्रिय

बैतूल से संवाददाता अनिल कजोड़े की विशेष रिपोर्ट :-

पिछले दिनों मध्यप्रदेश में होशंगाबाद जिले के नयागांव में एक कथित चमत्कारिक महुआ के पेड़ की खबर ने पुलिस सहित ज़िला प्रशासन और वन विभाग की नाक में दम कर दिया था। अंधविश्वास से घिरे अंधभक्तों और प्रशासन के बीच हिंसक झड़पें भी हुई लेकिन इसके बाद भी अंधविश्वास का यह खेल रुकने का नाम नही ले रहा है आज हम आपको बतलायेंगे अंधविश्वासी महुआ  पेड़ पार्ट 2 के बारे में जो बैतूल जिले में पिछले आठ दिनों पहले शुरू हुआ और अब धीरे-धीरे अपनी जड़े जमा रहा है। दरअसल बैतूल जिले के पश्चिम वन मंडल की चिचोली रेंज की डडारी सर्किल के बिघवा गांव के जंगल में स्थित महुए के पेड़ को कुछ अंधविश्वासीयों ने चमत्कारी बता कर लोगों को गुमराह करने का नया धंधा शुरू कर दिया है और नया दरबार सजा कर बैठ गए है। कथित चमत्कारी महुए के पेड़ की अफवाह फैलाते ही अंधविश्वास का शिकार हुए लोग दूर-दूर से यंहा पंहुच रहे हैं लोग महुए के पेड़ के पास बैठकर अपने दुख बीमारियों के ठीक होने की मन्नतें मांग रहे हैं और यहां एक महिला ने तो खुद को देवी का रूप ही घोषित कर दिया है। अपने आप को दैवीय शक्ति का रूप बतलाने वाली महिला के अनुसार वो पिपरिया के नयागांव में चमत्कारी महुए के पेड़ के पास गई थी और वंही से सारी शक्ति लेकर आई हैं और अब वो सारी शक्ति इस महुए के पेड़ में आ गई है।  अगर प्रशासन और पुलिस ने समय रहते कोई एक्शन नहीं लिया तो यहां भी हालत होशंगाबाद जैसे बेकाबू हो सकते हैं।

कौन है देवीय शक्ति वाली महिला ??

चिचोली थाना क्षेत्र के बिघवा निवासी महिला मालती मर्सकोले ने यह चमत्कारी महुए के पेड़ की उपज की है। मालती के पति पेशे से ड्राइवर है। मालती की माने तो वह नयागांव में चमत्कारी महुए के पेड़ के पास गई थी और उसी महुए के पेड़ पर मौजूद चमत्कारी शक्तियां उसके साथ यंहा तक आ गई। और वहां से आई सारी शक्तियां उस पर हावी होने लगी जिसके बाद उसने गांव के पंचो से सारी बातें बताई और सभी ने आपसी सहमति बनाकर उक्त महुए के पेड़ को चुना था। दैवीय शक्तियों वाली मालती अब उस महुए के पेड़ में अपनी शक्ति धीरे-धीरे डाल रही है इसी बीच यह खबर आग की तरह क्षेत्र में फैल रही हैं और रोजाना लोगो की तादाद बढ़ती ही जा रही हैं।

नयागांव के महुए के पेड़ से अलग है देवीजी का ये महुए का पेड़ :-

नयेगांव का चमत्कारी महुए के पेड़ की लोग केवल परिक्रमा करते थे लेकिन बिघवा गांव का ये चमत्कारी महुए का पेड़  उस महुए के पेड़ की तरह अनाथ नही है यंहा हर समय कथित देवी मालती मौजूद रहती है। यंहा के पंडा भिकारीलाल की माने तो लाभ लेने के लिए आपको महुए के पेड़ की परिक्रमा करने के साथ ही देवी स्वरूपा मालती मर्सकोले के भी दर्शन करने होंगें तब ही आपको कोई भी लाभ होगा। 

होशंगाबाद में कैसे फैला था अंधविश्वास :-

दरअसल कुछ महीने पहले एक चरवाहे ने अपने गांव में एक कहानी सुनाई कि इस जंगल से गुजरते वक्त उसे महसूस हुआ कि उसे कोई शक्ति खींच रही है. कुछ देर बाद वह जाकर उस महुए के पेड़ से चिपक गया. उसने गांव वालों से दावा किया कि उसके शरीर में मौजूद जोड़ों का दर्द अचानक गायब हो गया. फिर क्या था, उसकी बात आग की तरह फैल गई, पहले जिला फिर शहर और उसके बाद दूसरे राज्यों तक लोग इस पेड़ के बारे में जान गए. शुरु में तो गांव वाले ही इस पेड़ के पास आने लगे, गांव वाले पेड़ पर चढ़ाने के लिए पूजा सामग्री लेकर आने लगे, चढ़ावे के लिए कोई प्रसाद लेकर आता, कोई फूल ले आता तो कोई अगरबत्ती और धूप बत्ती. सोशल मीडिया के इस जमाने में बात फैलने में देर नहीं लगी और धीरे-धीरे वहां लोगों का मेला लगने लगा. एक छोटे से गांव से शुरु हुआ अंधविश्वास दूसरे शहर और राज्य तक फैल गया. हैरानी की बात यह थी कि वहां ऐसे भी लोग आ रहे थे जो शिक्षित हैं।

वनविभाग ने क्या किया था नयेगांव में :-

मामला जब शुरू हुआ तो वन विभाग ने इसे सामान्य तौर पर लिया लेकिन जब भीड़ बढ़ने लगी तो उसके भी हाथ-पांव फूलने लगे. स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने पेड़ तक पहुंचने से लोगों को रोकने के लिए बैरिकेड लगाए और लोगों को यह बताने की कोशिश की गई कि यह सिर्फ अंधविश्वास है. हालांकि यह क्षेत्र टाइगर रिजर्व का बफर जोन है इसलिए यहां बाघ आम तौर पर नहीं आते लेकिन इतनी भीड़ जंगल के इकोसिस्टम के लिए संकट पैदा करने लगी.

इनका कहना है :-

पिछले चार दिनों से इस तरह का कुछ मूमेंट वंहा चल रहा था। वन विभाग की टीम और पुलिस ने मिलकर सभी को वंहा से हटा दिया है। हमने अपने कर्मचारियों को वंहा तैनात कर दिया है और आगे भी इसका ध्यान रखा जाएगा कि वंहा कोई नहीं पंहुचे। 

मयंक चांडिवाल
डीएफओ,पश्चिम वन मंडल,बैतूल

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