स्वच्छता सर्वे पूरा होते ही बिगड़ने लगी सफाई की दिनचर्या, कूड़े के ढ़ेर जगह-जगह, न कोई उठाने वाला न कोई देखने वाला
- शहर के कई हिस्सों में दिन भर लगा रहा कचरे का ढेर
- सौंदर्यीकरण के चक्कर में कचरे तक का ध्यान नहीं
- प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी के लापरवाही की वजह से जगह-जगह पड़े हुए हैं कचरे के ढ़ेर
रीवा: स्वच्छता सर्वेक्षण के चलते शहर में बीते कुछ समय से साफ-सफाई बेहतर नजर आ रही थी। 31 जनवरी तक चले सर्वे के बाद शहर का कुछ और नजारा देखने को मिला। जगह-जगह कचरे का ढेर भी नजर आने लगा। मोहल्लों में कचरा कलेक्शन के लिए जाने वाले वाहन भी अब समय पर नहीं पहुंच रहें हैं।
नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी, कर्मचारियों की इस लापरवाही से शहर के लोगों को परेशानी उत्पन्न होने लगी है। जिसकी शिकायतें अधिकारियों तक पहुंच रही हैं। निगम के उपायुक्त अरुण मिश्रा ने शहर के कई हिस्सों का भ्रमण कर देखा कि समय पर कचरे का उठाव नहीं हुआ है और सड़कों की सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसकी वजह से अधिकारियों को उन्होंने फटकार भी लगाई है और कहा कि शहर में सड़कों पर कचरा दिखा तो सीधे तौर पर संबंधित क्षेत्र में तैनात किए गए कर्मचारी दोषी होंगे और उनके वेतन में कटौती भी की जाएगी।
सौंदर्यीकरण के चक्कर में कचरे तक का ध्यान नहीं
नगर निगम के प्रशासक डॉ. अशोक कुमार भार्गव के निर्देश पर शहर के प्रमुख चौराहों और दीवारों पर स्वच्छता से जुड़े स्लोगन लिखे जा रहे हैं और शहर को स्वच्छ बनाए जाने की अपील भी की जा रही है। वहीं अब नगर निगम के कर्मचारी मनमानी रूप से कार्य करने लगे हैं। शहर की सड़कों की सफाई नहीं होने से कचरा नजर आने लगा है। स्थानीय लोगों ने भी शिकायतें नगर निगम के कर्मचारियों की कर दी है, और इस पर जल्द ही कार्यवाही करने की मांग की है।
प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी की मनमानी
नगर निगम प्रशासन ने स्वच्छता निरीक्षक को प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी बना दिया है, जो शहर का समय पर भ्रमण नहीं कर रहे हैं। कई बार सफाई सेवा से जुड़े कर्मचारियों ने ही उक्त सख्श को बदलने की मांग उठाई लेकिन इन मांगों को नजरंदाज किया जाता रहा है। इसके पहले सोशल मीडिया पर कुछ आडियो भी वायरल हुए थे, जिसमें दावा किया गया था कि काम पर नहीं आने वाले कर्मचारियों की हाजिरी सेवा शुल्क लेकर बनाई जा रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद अब शहर में कचरे का ढेर जगह-जगह दिखने की वजह से एक बार फिर सवाल उठाए जा रहे हैं। जिसमें प्रमुख लापरवाही प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी की ही मानी जा रही है।