मावठे की बारिश ने मौसम में घोली ठंडक
- शीत ऋतु की पहली रिमझिम से खिले किसानों के चेहरे]
रिपोर्टर महेन्द्र सिंघ नायक/धूमा-सिवनी। कल देर रात्रि से लेकर आज सुबह तक और शाम को अंचल में हुई रिमझिम बरसात ने वातावरण में ठंडक बढ़ा दी है. धूमा उपनगर सहित आसपास के रहलोन, मकरझिर, पाठादेवरी, घूरवाड़ा आदि अनेक गाँव क्षेत्रों को मावठे की बारिश ने खूब भिगाया.
जहाँ अब तक शीत ऋतु होते हुये भी गर्मी का आभास होता था. अब वहीं कुछ ही दिन में कड़ाके की ठंड पड़ने की सम्भावना बढ़ गई है. उचित समय पर हुई इस वर्षा से क्षेत्रीय किसानों के चेहरे खिल गये हैं. सितम्बर माह तक हुई घनघोर वर्षा बीतने के बाद लगभग ढाई माह के अन्तराल से हुई ये वर्षा गम्भीर जल अल्पता के कारण सूखा क्षेत्र माने जाने वाले धूमा अंचल के लिये किसी वरदान से कम नहीं है. मावठे की ये वर्षा रबी फसलों के लिये अमृततुल्य होगी.
गुरूवार सुबह से ही आसमान में बादलों की लुका-छिपी शुरू हो गई थी. पर दिन बीतते- बीतते शाम तक आसमान बिल्कुल साफ हो चुका था. परन्तु देर रात क्षेत्र पर बादल जमकर मेहरबान हुये तो रात से लेकर सुबह तक रुक-रुककर खूब बरसे. आज दिन में भी धूप-छांव लिये शाम को भी हल्की बारिश हुई. इस वर्षा के होने से माहौल में ठंडक का अहसास होने लगा है. आने वाले दिनों में ठंड अपने पूरे रूप में आ सकती है.
मावठे की वर्षा ने आसपास के किसानों को उत्साह से भर दिया है. लम्बे समय से वर्षा न होने से भूमि की नमी बहुत घट गई थी. असिंचित भूमि वाले किसानों में किसी की बोनी ही नहीं हुई थी तो किसी की फसलें ऊगकर पीली पड़ रहीं थीं. दूसरी ओर सिंचाई सुविधा वाले किसानों को अतिरिक्त पानी देना पड़ रहा था. ज्ञात हो कि इस वर्ष हुई अतिवृष्टि के कारण रबी फसलों की बोनी देर से हुई है. खेतों में नमी कम होने से फसलोत्पादन अपेक्षाकृत कम होने की सम्भावना बढ़ गई थी. पर आज की बारिश पौधों व फसलों के लिये बहुत उपयोगी सिद्ध होगी. कुछ फसलें जैसे चना, बटरी जो आगाती बोनी के कारण फूल पर हैं. उन्हें आंशिक नुकसान हो सकता है. लेकिन बाढ़ कर रही सभी फसलें और विशेषकर गेहूँ के लिये तो ये साक्षात् अमृत है. यदि कोहरा होता है तो इल्ली वगैरह से हानि हो सकती है.
किस का क्या है कहना?
कृषक अनुराग चौकसे “अन्नू पटेल” ने कहा- ये पानी रबी की हर फसल के लिये वरदान है. बोनी देरी से हुई है इसलिये चना, मसूर, गेहूँ सबको फायदा मिलेगा. इससे खेतों में अतिरिक्त खाद, पानी डालने की भी बचत होगी.
कृषक घनश्याम सैयाम- हमें थोड़ा नुकसान हो सकता है. पिछली वर्षा ज्यादा होने से धान देरी से आई है. अभी खलिहान में पड़ी है. खाली पड़े खेतों के लिये अच्छा है. उनमें बोनी कर पायेंगे.