छोटे और मध्यम समाचार पत्रों पर दमनकारी नीति अपना रही है मप्र सरकार ?

आज भोपाल जनसंपर्क संचनालय पर प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन का प्रस्तावित धरना था. मगर धरने के 1 दिन पहले ही प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन के कथित राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज भारतीय ने धरने को स्थगित कर दिया. धरने को स्थगित करने का कारण जनसंपर्क अधिकारियों से आश्वासन मिलना बताया मगर सोशल मीडिया पर चल रही पोस्टों में छोटे और मध्यम समाचार पत्रों के संपादकों ने परवेज भारतीय पर साठगांठ के आरोप लगाए इससे नाराज कुछ संपादक जनसंपर्क संचनालय भोपाल पहुंचे. जिन्होंने जनसंपर्क संचनालय पर लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों से भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की. जहां एक तरफ जनसंपर्क संचनालय ज्यादा प्रसार वाले समाचार पत्रों को निरंतर विज्ञापन जारी कर रहा है वहीं लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को विज्ञापन देने में आनाकानी कर रहा है, जो पिछली सरकार में विज्ञापन जारी होते थे लगभग उन विज्ञापनों पर भी वर्तमान कांग्रेस सरकार ने शिकंजा कस रखा है.

 

संपादकों के आरोप हैं की जनसंपर्क अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं. जनसंपर्क के अधिकारी पर्ची सिस्टम को विकसित किए हुए हैं. पर्चियां पहुंचती हैं उनका बिलों का भुगतान और विज्ञापन जारी हो जाता है बाकी अन्य समाचार पत्रों को जनसंपर्क अधिकारी ना तो विज्ञापन जारी कर रहा ना पुराने बिलो का भुगतान कर रहें है कांग्रेस सरकार दमनकारी नीति अपना रही है. सरकार को लघु समाचार पत्र-पत्रिकाओं को साल में 4-5 विज्ञापन जारी करने चाहिए जैसे पिछली सरकार में जारी होते थे. विरोध मे कुछ समाचार पत्रों ने तो 16 व 17 दिसंबर को समाचार पत्र के प्रथम पृष्ठ को प्रेस के लिये काला दिवस के रूप मे भी छापा है.

वर्तमान मप्र कांग्रेस सरकार दमनकारी नीति अपना रही है जो ठीक नही है अगर यही हाल रहा तो मजबूरन आन्दोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा. 

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