केस पेंडिंग में मध्यप्रदेश 6 वें स्थान पर, अदालत में न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं 18 लाख केस
- अदालत में पेंडिंग हैं 18 लाख केस,
- पेंडिंग केस के मामले में मध्य प्रदेश का देश भर में 6 वां स्थान
- मध्य प्रदेश से है आगे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चेन्नई
भोपाल : आयुषी जैन : पूरे देश के साथ- मध्य प्रदेश (madhya pradesh) की अदालतों में भी लाखों केस पेंडिंग हैं. इस मामले में मध्य प्रदेश का नंबर 6 वां है. यहां अदालतों (courts) में कुल 18 लाख केस हैं जिनका निपटारा होना बाकी है.
नेशनल न्यायिक डेटा ग्रिड 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक
मध्य प्रदेश में भी लोगों को इंसाफ के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है. नेशनल न्यायिक डेटा ग्रिड 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में करीब 18 लाख केस अदालतों में पेंडिंग हैं. इनमें हाईकोर्ट और जिला कोर्ट में दोनों में लंबित केस शामिल हैं. पेंडिंग केस के मामले में मध्य प्रदेश का देश भर में 6 वां स्थान है. मध्य प्रदेश से आगे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चेन्नई हैं. नेशनल न्यायिक डेटा ग्रिड 2019 की रिपोर्ट में ये सामने आया है.
रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में साढ़े तीन लाख से ज्यादा केस निपटारे का इंतज़ार कर रहे हैं. जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में करीब 14 लाख केस लंबित हैं. इस लिहाज से देखें तो कुल लंबित केसों की संख्या करीब 18 लाख के करीब पहुंचती है. इनमें से एक चौथाई मामले पांच साल से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं. हालांकि सरकार का दावा है कि लंबित केसों की पेंडेंसी कम करने के लिए सरकार कदम उठा रही है. प्रदेश में 850 से ज्यादा नए न्यायालय भवन और जजों के 140 खाली पद भरने की प्रक्रिया चल रही है. सरकार जजों के लिए 985 नए मकान बनवा रही है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट – 3 लाख 56 हज़ार 968
जिला और अधीनस्थ न्यायालय – 14 लाख 28 हजार 784
राजस्थान हाईकोर्ट – 4.58 लाख केसजिला और अधीनस्थ न्यायालय – 16 लाख 67 हज़ार 743
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट – 67734 केस
जिला और अधीनस्थ न्यायालय -2 लाख 76 हज़ार 762
अदालतों में पेंडेंसी कम करने की कवायद
अदालतों में लंबित केसों की संख्या से इतना तो साफ ज़ाहिर है कि अदालतों पर केसों के बोझ को कम करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
प्रदेश में 850 से ज्यादा नए न्यायालय भवन और जजों के 140 खाली पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है.सरकार जजों के लिए 985 नए आवास भी तैयार करवा रही है. इतना ही नहीं हर साल लोक अदालतों के ज़रिए भी पेंडिंग केसों की संख्या कम करने का प्रयास किया जा रहा है.