मध्यप्रदेश में बीते कुछ समय से सियासी उठापटक लगातार जारी है। प्रदेश में सत्ता में बैठी कमलनाथ सरकार को भाजपा की ओर से लगातार सियासी पटकनी देने की कोशिश की जा रही है जिसने मुख्यमंत्री कमलनाथ की चिंता बढ़ा दी है। इस रस्साकसी के बीच सीएम कमलनाथ अपने विधायकों को लगातार अपने संपर्क में लेने की कोशिश कर रहे हैं। बीते घटना क्रम को देखने पर कांग्रेस और निर्दलीय और सहयोगी दलों के विधायक सरकार से मंत्री पद ना मिलने की वजह से रूठे नजर आए हैं और सरकार को चेतावनी के साथ ही पाला बदलने तक के मौके आते नजर आए हैं।
इसी सुगबुगाहट को भांपते हुए राजधानी में लगातार बैठकों का दौर जारी है जिसमें यह उत्पन्न हुए सियासी संकट को हल करने की कोशिश की जा रही है।
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ हुई बैठक में सियासी गणित बैठाने की बात हुई है। जिसमें प्रदेश के तीनो दिग्गज नेताओं कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुटों के मंत्रियों की संख्या में कटौती हो सकती है।
किन किन मंत्रियों का होगा पत्ता साफ
मध्यप्रदेश में यदि आंकड़ों की बात की जाए तो सदन के कुल सीटों के 15 प्रतिशत मंत्री बन सकते हैं इस लिहाज से यहां सीटों के मुताबिक 35 बैठता है।
खबरों के मुताबिक जिन मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है उनमें जयबर्धन सिंह – शहरी विकास मंत्री
- प्रियव्रत सिंह – ऊर्जा विभाग
- सुखदेव पांसे – इंजी. विभाग
- लखन घनघोरिया – सामाजिक कल्याण एवं निशक्त जन
- प्रभुराम चौधरी – प्राथमिक शिक्षा मंत्री
- महेंद्र सिसोदिया – श्रम मंत्री शामिल हैं।
वहीं रूठों को मनाने के लिए इसमें नए विधायकों को जगह दी जा सकती है
- जिसमें निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा
- हरदीप सिंह डंग
- संजीव कुशवाहा
- बिसाहू लाल
- ऐंदल सिंह कसाना
- केपी सिंह
- और दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह कमनाथ कैबिनेट का हिस्सा बन सकते हैं।
साथ ही साथ खबरों के मुताबिक कुछ मंत्रियों के मंत्रालयों में कटौती भी की जा सकती है जिनमें
जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा और बाला बच्चन शामिल हैं।