भोपाल – महिला अतिथि विद्वान सरकार से मांगो की पूर्ति के लिए 8 मार्च को एक बार फिर कराएंगी मुंडन 

भोपाल महिला अतिथि विद्वान सरकार से मांगो की पूर्ति के लिए 8 मार्च को विरोध में एक बार फिर कराएंगी मुंडन 
भोपाल के शाहजहानी पार्क में बीते 88 दिनों से लगातार अतिथि विद्वान नियमितिकरण की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। लेकिन अभी तक उनकी मांगों को तवज्जो नही दी गई है समय समय पर सरकार के नेता और मंत्री अतिथि विद्वानों को ढांढस तो बंधाते नजर आते हैं लेकिन उनके द्वारा की गई मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। 
गौरतलब है कि अतिथि विद्वानों के इस विरोध प्रदर्शन ने सरकार पर दवाब बनाने के कई प्रयास किए हैं लेकिन अभी भी उनके हांथ कुछ नही आया है।  अभी हाल ही में महिला अतिथि विद्वानों ने विरोध प्रदर्शन मे अपने केश दान किए थे लेकिन सरकार पर उसका कोई खासा असर नहीं हुआ इसी कड़ी में 8 मार्च का दिन अतिथि महिला विद्वानों ने फिर चुना है जिस दिन वह एक बार फिर अपने केश दान कर मुंडन करांएगी। 
8 मार्च को होता है महिला दिवस
गौरतलब है कि 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन इन अतिथि विद्वानों ने इसे विरोध के रूप में दर्ज कराने के फैसला किया है।
क्या है अतिथि विद्वानों का कहना
 मण्प्रण् के शासकीय महाविद्यालयों में सहाण् प्राध्यापक के रिक्त पदों के विरुद्ध अध्यापन करने वाले अतिथि विद्वान अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर विगत 02 दिसम्बर से छिन्दवाड़ा से पदयात्रा और 10 दिसम्बर से राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में निरंतर धरना दे रहे हैं। अतिथि विद्वानों का कहना है कि हम विगत 20 वर्षों से महाविद्यालयों में अपनी सेवाएँ देते आ रहे हैं। वर्तमान सरकार ने हमें सेवा से पृथक कर दिया है जिससे हमारे सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। 
अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्च के प्रदेश संयोजक डॉण् सुरजीत सिंह भदौरिया जी का कहना है कि हमारी उच्च शिक्षा मंत्री जी से कई बार मीटिंग हुई परन्तु परिणाम कुछ भी नही निकला जिसका प्रमुख कारण सरकार की अकड़वाजी और उच्चाधिकारियों द्वारा भ्रमित किया जाना रहा। अब तक में शासन सिर्फ अतिथि विद्वानों को तोड़ने कमजोर करने और दबाव बनाकर उनके आन्दोलन को खत्म करने के अलावा और कुछ नही किया। 
उधर माहिला अतिथि विद्वानों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी की इस दमनकारी नीति के विरोध में मेरी बहन डॉ शाहीन खान जो कि छिंदवाड़ा की बेटी हैं उन्होंने अपने श्रृंगार का मुख्य भाग केश ;बाल मुंड़वाकर विरोध जताया। इसी कड़ी में 2 मार्च को लक्सारी दास ने अपना मुंडन कराया। इसके बाद भी शासन की बेशर्मी की पराकाष्ठा रही। सरकार को अपने प्रदेश की बेटियों के श्रृंगार का तनिक भी खयाल नही रहा। 
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार महिला अतिथि विद्वानों ने यह शंखनाद कर दिया है कि आगामी 8 मार्च ;महिला दिवसद्ध को सरकार के नीतियो के विरोध में अपना मुंडन कराएंगी वहीं महिला अतिथि विद्वान डॉ शाहीन खान ने कहा कि सरकार हमें कमजोर न समझे और न ही हमारे सब्र की परीक्षा ले। हम अबला हैं तो चंडी और दुर्गा का भी रूप हैं। कहीं ऐसा न हो कि सरकार अपने कर्मों से ही नष्ट हो जाय प् इसलिए फिर जता रही हूं। नारी की आह अगर निकली तो लोहा भी भस्म हो जाएगा सरकार का तो पतन फिर तय ही है। प्रदेश संयोजक डॉ देवराज सिंह का कहना है कि प्रदेश के मुखिया माननीय कमलनाथ जी से अनुरोध कर रहा हूं अहंकार को छोड़कर म.प्र. के अतिथि विद्वानों को नियमित कर सम्पूर्ण अतिथि विद्वान और उनके परिवार की दुआ प्राप्त करें जो उन्हें फलीभूत होगा।

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