मप्र के सचिवालय में खुलेआम चल रही थी रिश्वत खोरी, लोकायुक्त टीम ने ऊर्जा विभाग के अधिकारी को रंगे हांथ रिश्वत लेते किया गिरफ्तार
- लाइसेंस जारी करने के लिए 15 लाख रूपए रिश्वत की उठाई मांग
- महिला की शिकायत पर लोकायुक्त टीम ने अधिकारी को रंगे हांथों पकड़ा
- मुख्यमंत्री की बातों का नहीं हो रहा कोई असर खुलेआम चल रही रिश्वतखोरी
भोपाल/प्रियंक केशरवानी :- प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि सरकारी व्यवस्था में रिश्वतखोरी को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा लेकिन मध्य प्रदेश के सरकारी सिस्टम में रिश्वत को किसी अधिकार की तरह वसूला जाता है। सतपुड़ा भवन में लोकायुक्त ने छापामार कार्रवाई करते हुए ऊर्जा विभाग के अधीक्षण यंत्री को गिरफ्तार किया है। लोकायुक्त पुलिस का दावा है कि सीनियर इंजीनियर ठेकेदारी लाइसेंस जारी करने के बदले 100000 रिश्वत वसूल रहा था, उसे रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।
लाइसेंस जारी करने के लिए 15 लाख रुपए रिश्वत की मांग, नहीं देने पर लाइसेंस प्रक्रिया में देरी करता रहा अधिकारी
डीएसपी लोकायुक्त सलिल शर्मा ने बताया कि ग्लोबल हाइट्स गुड़गांव निवासी अस्मिता पाठक दर्श रिन्युअल प्राइवेट लिमिटेड के लिए ऊर्जा सलाहकार का काम करती हैं। उन्होंने 20 सितंबर को लोकायुक्त को शिकायत की थी कि कंपनी का सिंगरौली में 25 मेगावाट सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के चार्जिंग व विद्युत ठेकेदारी लाइसेंस के लिए ऊर्जा विभाग, सतपुड़ा भवन में आवेदन किया था। जहां, अधीक्षण यंत्री अजय प्रताप सिंह जादौन ने लाइसेंस जारी करने के लिए 15 लाख रुपए रिश्वत की मांग की। पैसे नहीं देने पर लाइसेंस की प्रक्रिया में देरी करता रहा।
फ़िल्मी स्टाइल में पीड़िता से लिया रिश्वत, लेकिन पकड़ा गया अधिकारी
परेशान होकर महिला ने अजय से बात की। पहली किस्त में 1 लाख रुपए की रिश्वत देना तय हुआ। बुधवार को करीब 3 बजे अस्मिता 1 लाख रुपए लेकर सतपुड़ा भवन के तीसरे तल पर अजय के ऑफिस पहुंची। अजय ने उन्हें थोड़ी देर तक रोके रखा। इसके बाद पार्किंग में लेकर पहुंचा, जहां काले रंग के रुपयों से भरा बैग कार में रख लिया। इसके बाद आसपास घूमता रहा। थोड़ी देर बाद कार में बैठकर जाने लगा, तभी टीम ने दबोच लिया।