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शराब कंपनियों का कहना "यह भी खाने-पीने का सामान ,इसकी भी बिक्री शुरू हो"

 

Bhopal Desk ,Gautam Kumar

  •  खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून 2006 में शराब को खाने का हिस्सा माना गया है

भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते खतरे को देखते हुए पूरे देश को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन पर रखा गया है। इस दौरान प्रशासन द्वारा लोगों सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए अपने-अपने घरों में रहने की सलाह दी जा रही है। इस देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के बीच सरकार और प्रशासन द्वारा लोगों को जरुरत की सभी चीजें मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा है। देश के लोगों को जरूरी चीजें जैसे दवा, राशन, सब्जी और दूध वगैरह अपने घर के पास स्थित नजदीकी दुकानों से खरीद रहे हैं। हालांकि इस लॉकडाउन के चलते शराबियों को अपनी रेगुलर खुराक नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते उन्हें अपने स्तर पर काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन क्या आपको इस बात का पता है कि खाद्य पदार्थों से जुड़ा देश का एक कानून शराब को खाने का हिस्सा मानता है।

दरअसल अब इसी बात को ढाल बनाकर शराब बनाने वाली कंपनियां (Liquor companies) चाहती हैं कि लॉकडाउन की अवधि में भी इसकी बिक्री हो। देश में शराब बनाने वाली बड़ी कंपनियों की अगुवाई करने वाले इंडियन स्पिरिट ऐंड वाइन असोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसडब्ल्यूएआई) ने केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के साथ केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाले डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री ऐंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) और नीति आयोग को भी इस बारे में पत्र लिखा है। अपने पत्र में संगठन ने कहा है कि जब बाजार में वैध तरीके से शराब की बिक्री नहीं होगी तो लोग इसे पाने के लिए अवैध तरीका अपनाएंगे। यह न सिर्फ समाज विरोधी कार्य होगा बल्कि इससे सरकारी खजाने को भी नुकसान होगा।

इन कंपनियों के मुताबिक खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून 2006 में शराब को खाने का हिस्सा माना गया है और खाना तो आवश्यक वस्तु है। जब आवश्यक वस्तु आसानी से नहीं मिलेगी तो लोग इसके लिए दूसरा तरीका अपनाएंगे। इससे पुलिस बल पर भी काम का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। संगठन का कहना है कि लगभग सभी राज्यों के राजस्व में शराब से वसूले जाने वाले टैक्स की हिस्सदारी 15 से 30 फीसदी की है। इस समय अर्थव्यवस्था में एक तरह से ठहराव आ गया है, इसलिए शराब से होने वाली आमदनी उनके लिए महत्वपूर्ण है। वैसे भी इस समय कोरोना महामारी से लड़ने के लिए राज्यों को ज्यादा पैसे चाहिए। इस क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि जबसे लॉकडाउन हुआ है, तब से देशभर में शराब की बिक्री बंद है। इसलिए शराब बनाने वाले कंपनियों ने भी इसका उत्पादन बंद कर दिया है। अब तो उनके कारखाने में कुछ बन रहा है तो वह है सैनिटाइजर, क्योंकि इसमें भी 70 फीसदी ऐल्कॉहॉल ही होता है।

 

 

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