क्या कुलदीप नहीं रहे अचूक गेंदबाज
स्पोर्ट्स डेस्क : कुलदीप यादव ने कभी नहीं सोचा होगा की वो रविचंद्र आश्विन और रविंद्र जडेजा को हटाकर भारतीय टीम में अपनी जगह बना पाएंगे। दरअसल 2017 चैंपियंस ट्रॉफी में मिली हार का सबसे बड़े कारणों में एक था की भारतीय स्पिन जोड़ी का मिडिल ओवर में विकेट नहीं ले पाना। आश्विन और जडेजा की जोड़ी विपक्षी बल्लेबाजों को आउट नहीं कर पा रहे थे।वाइट बॉल क्रिकेट में दोनों की जोड़ी कोई खासा कमल नहीं दिखा पा रही थी। यहीं से उदित हुआ कुलदीप यादव का क्रिकेटिंग सितारा आश्विन और जडेजा को टीम से बाहर का रास्ता दिख दिया गया।टीम में युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को मौका मिला जिसे इन दोनो ने बखूबी निभाया। आंकड़ों की से नजर देखे तो कुलदीप ने अभी तक 60 एकदिवसीय मुक़बले खेले हैं ,जिसमे 5 .11 की इकॉनमी रेट से 104 विकेट झटके हैं। कुलदीप के नाम पर एकदिवसीय मैच में हैट्रिक लेने का रिकॉर्ड भी शामिल है। वहीँ कुलदीप ने कुल 20 टी20 मैच खेले हैं जिसमे उनके नाम पर 39 विकेट दर्ज है। हालांकि पीछले 3 सीरीज से कुलदीप के परफॉरमेंस में गिरावट देखने को मिल रही है। दरअसल लगातार क्रिकेट खेलने की वजह से विपक्षी बल्लेबाज कुलदीप के वैरिएशंस को पढ़ने में सफल हो रहे हैं। हाल ही में न्यूज़ीलैण्ड के विरुद्ध खेले गए पहले मुक़ाबले में कुलदीप खासे महंगे रहे। ऐसे में यह सवाल पूछना लाजिमी हो जाता है की क्या कुलदीप यादव के वैरिएशंस को विपक्षी बल्लेबाज पढ़ने में सक्षम हो गए हैं ? क्या टीम मैनजमेंट कुलदीप के वर्कलोड को नहीं मैनेज कर पा रहें हैं ? क्योंकि कुलदीप यादव थके -थके से नजर आते हैं। जिसका असर उनकी गेंदबाजी सहित उनकी क्षेत्ररक्षण में भी देखने को मिल रहा है। विराट कोहली पहले ही साफ़ कर चुके हैं की लोअर आर्डर में बल्लेबाजों का कंट्रीब्यूशन कम है ,ऐसे में चहल और कुलदीप की जोड़ी को एक साथ नहीं खिलाया जा सकता है ,तो क्या जोड़ी में बोलिंग नहीं करने के कारण कुलदीप इफेक्टिव नहीं साबित हो पा रहें हैं ? अगर ऐसा है तो फिर कुलदीप को इस मर्ज का दवा जल्दी ही ढूंढ़ना पड़ेगा क्योंकि टीम में उनके साथ वाशिगंटन सुन्दर भी हैं ,जो एक बेहतरीन फिंगर स्पिनर के साथ एक उपयोगी बल्लेबाज भी हैं। ऐसे में कुलदीप यादव पर खुद को साबित करने का दवाब होगा।