सभी खबरें

Jammu Kashmir : तो क्या संसद पर हमला, तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की योजना के तहत था ?

Jammu Kashmir : देश में इस समय अस्थिरता का माहौल है, जहां एक तरफ हम हमारे देश की सीमाओं को मजबूत करने में लगे हुए हैं तो कुछ भेड़िए बकरी की शक्ल में अपने आप को संत बनाने पर तुले हुए हैं. लेकिन अब की बार यह भेड़िया कोई बड़ा जुल्मी दार नेता नहीं निकला यह तो प्रशासनिक वर्दी में बैठा वह घुसपैठिया था.

 

 

जो कई वर्षों से आतंकवादियों को इनपुट्स उपलब्ध कराता था, ऐसे ही एक भेड़िए का खुलासा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उस वक्त कर दिया जब वह अपनी नापाक हरकत को अंजाम देने पर तैयार था. अब हमें इन्हें ढूंढ ढूंढ कर नेस्तानाबूद करना है। ताकि राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता की तस्वीर जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखी थी उसे आज सिर्फ किताबी तौर पर ही नहीं बल्कि जमीन पर भी जीवित किया जा सके। 
ऐसे ही एक ताजे मामले के बारे में हम बात कर रहे हैं जहां पर कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के साथ डीएसपी की मिलीभगत का मामला सामने आया है। जिसमें कि पुलिस के अफसरों ने ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुए 2 आतंकियों के साथ उस भेड़िये को भी गिरफ्तार कर लिया है जो वर्दी की शक्ल में काम आतंकवादियों वाला करता था।

आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा “हम डीएसपी देविंदर सिंह की संलिप्तता को जघन्य अपराध मानते हैं और उनके साथ उसी तरह की कार्रवाई होगी जो अन्य आतंकवादियों के साथ होती है.” अधिकारियों ने बताया कि पुलिस अधिकारी पर आरोप है कि वह आतंकवादियों को शोपियां इलाके से संभवत: कश्मीर घाटी के बाहर ले जा रहे थे. यानी इसे हमें समझना होगा कि हमारे इंटेलिजेंस में कितने लोग ऐसे बैठे हुए हैं जो रोटी तो इस देश की खाते हैं लेकिन इसका नमक पड़ोसी देश को अदा करते है।

 

 

शुरुआती पूछताछ के बाद खबर है कि डिप्टी एसपी देविंदर सिंह और आतंकियों के बीच ₹12 लाख की डील आतंकियों को चंडीगढ़ तक सुरक्षित पहुँचाने के लिए हुई थी।

इसी कारण डिप्टी एसपी देविंदर सिंह ने 12 जनवरी 2020 से अगले 4 दिनों तक छुट्टी भी ले ली थी जिससे चंडीगढ में उन आतंकियों को सुरक्षित ठिकाने तक पहुँचाया सके। 

ठीक यही आरोप अफज़ल गुरू ने भी देविंदर सिंह पर लगाए थे। उसने लिखित रूप से कहा कि संसद पर धमाका करने वाले आतंकियों को देविंदर सिंह ने ठिकाना मुहैय्या कराया और दिल्ली तक पहुँचवाया।

तो क्या संसद पर हमला तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की योजना के तहत था ? 

सवाल बहुत से उठ रहे हैं , क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव के पूर्व दिल्ली या उसके आसपास किसी आतंकी घटना को कराने की योजना थी ? या 26 जनवरी के दिन किसी आतंकी की योजना थी? जिससे पुलवामा अटैक के कारण लोकसभा चुनाव जीती सरकार दिल्ली का विधानसभा चुनाव भी जीत सके।

हर पहलू पर जाँच होनी चाहिए, अफज़ल गुरू के आरोपों पर भी जाँच होनी चाहिए , और देविंदर सिंह को किसने राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित करवाया इसकी भी जाँच होनी चाहिए।

पर सवाल यह है कि निष्पक्ष जाँच करेगा कौन ?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button