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जबलपुर : विकास के नाम पर डुमना को उजाड़ने की तैयारी में राज्य की शिवराज सरकार

जबलपुर/राजकमल पांडे। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य शासन से पूछा है कि जबलपुर डुमना रोड के लिए कितने पेड़ काटे जाएंगे और कितने पेड़ लगाए जाएंगे। इस सिलसिले में विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए इसके लिए आगामी सुनवाई 25 फरवरी तक समय दिया गया है। फोरलेन सड़क निर्माण पर मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस संजय द्विवेदी युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जबलपुर की गंगा नगर कॉलोनी निवासी पर्यावरण प्रेमी निकिता खंपरिया की ओर से अधिवक्ता श्रेयस पंडित ने पक्ष रखा।

उन्होंने दलील दी कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से डुमना एयरपोर्ट तक फोरलेन सड़क निर्माण किया जा रहा है, जिसमें सड़क निर्माण के लिए हरे भरे पेड़ों को काटा जा रहा है।  

बताए गए पांच वैकल्पिक मार्ग हाई कोर्ट के निर्देश पर डुमना जाने के लिए पांच वैकल्पिक मार्ग प्रस्तुत किए गए हैं, पहला मार्ग एंपायर टॉकीज रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय होते हुए 12 किलोमीटर। दूसरा मार्ग अंपायर टॉकीज से पेंटीनाका गोराबाजार भीटा होते हुए डुमना 16.3 किलोमीटर। तीसरा मार्ग एंपायर टॉकीज चुंगीनाका, सतपुला, रांझी, खमरिया, पिपरिया होते हुए डुमना 16.10 किलोमीटर। चौथा एंपायर टॉकीज, चुंगी नाका, रांझी, खमरिया, पिपरिया, उमरिया, अमझरा, घाटी ककरतला होते हुए डुमना 30.5 किलोमीटर। और पांचवा मार्ग एंपायर टॉकीज से चुंगी नाका, रांझी, पुराना खमरिया थाने के पहले से डुमना 18.60 किलोमीटर है, लेकिन यह रिपोर्ट कई वजह से स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।

हाईकोर्ट में समिति को परीक्षण भी करवाने को कहा था। इस मामले की विगत सुनवाई के दौरान 6 जनवरी को हाईकोर्ट ने डुमना के लिए 5 विभागों की समिति द्वारा वैकल्पिक मार्गों का प्रस्ताव तैयार किए जाने की व्यवस्था दी थी। इस समिति में जिला प्रशासन, वन विभाग, नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, और पीडब्ल्यूडी का एक-एक सदस्य शामिल करने के निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट ने 5 विभागों की समिति को इसका परीक्षण भी करवाने के लिए कहा था कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से डुमना तक बन रही सड़क संरक्षित या रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में आती है या नहीं?

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