जबलपुर: मेडिकल विश्वविद्यालय में हुए घोटाले की जांच के लिए गठित की गयी पांच सदस्यीय कमेटी
- अनियमितता के मामले में विशेष कमेटी ने शुरू की जांच
- हाईकोर्ट के निर्देश के बाद हुआ कमेटी का गठन
जबलपुर/अंजली कुशवाह: जबलपुर के मप्र आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी में हुए घोटाले पर हाई कोर्ट ने जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन करने के निर्देश दिए थे. विशेष कमेटी द्वारा यूनिवर्सिटी में पैसे लेकर पास-फेल करने सहित अन्य अनियमितता के मामले की जांच शुरू कर दी गयी है. हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित पांच सदस्यों की इस कमेटी में रिटायर्ड जस्टिस केके त्रिवेदी को अध्यक्ष बने हैं. उनकी अगुवाई में चार अन्य सदस्यों ने विवि पहुंच कर जांच शुरू कर दी है.
मिली जानकारी के अनुसार जांच कमेटी ने विवि में पहुंच कर परीक्षा संबंधी गड़बड़ियों, ऑनलाइन काम संभालने वाली ठेका कंपनी से संबंधी दस्तावेज मांगे हैं. कमेटी ने जांच के बिंदुओं को तय करते हुए इसकी विस्तृत सूची विवि प्रशासन को दी है. इन दस्तावेजों के साथ ही सायबर क्राइम एडीजी पास-फेल को लेकर किए गए ईमेल-ऑनलाइन भुगतान की तकनीकी पक्ष की जांच में जुटी है.
हाईकोर्ट से मिला एक महीने का समय
जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित जांच समिति के पांचों सदस्य जबलपुर पहुंचे गए हैं. कमेटी के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस केके त्रिवेदी, सदस्य सायबर क्राइम के एडीजी योगेश देशमुख, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि के कुलपति डॉ. सुनील कुमार गुप्ता, एमपीएसइडीसी में सीनियर कंसलटेंट विरल त्रिपाठी और एमपीएसइडीसी में टेस्टिंग इंजीनियरिंग प्रियंक सोनी शामिल हैं. कमेटी को एक महीने में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करनी है.
इस मामले पर कमेटी ने विवि के प्रशासक कुलपति सहित अन्य अधिकारियों के साथ कॉफ्रेंस रूम में घंटों चर्चा की और इस पूरे प्रकरण को समझा. इसके बाद पूर्व की विभागीय जांच की रिपोर्ट को उससे जुड़े दस्तावेज मांगे. कमेटी की जांच के बाद से विवि में हड़कंप मचा हुआ है.
जानिये क्या हैं पूरा मामला
बता दें कि एमयू में परीक्षा-परिणाम संबंधी कार्य करने वाली ठेका कंपनी माइंडलॉजिक्स के गोपनीय विभाग के एक बाबू को निजी मेल पर रिजल्ट भेजे जाने के खुलासे के बाद कई गड़बडियां पकड़ी हुई थी. चिकित्सा शिक्षा विभाग की जांच में ही विश्वविद्यालय में फेल-पास की गंभीर अनियमितता की प्रारंभिक जानकारी भी सामने आयीं थी.
इस के बाद घोटाला पकड़ने वाले अधिकारियों को ही आनन-फानन में हटा दिया गया. विवि में इस अनियमितता को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई. इस याचिका के आधार पर हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने इस जस्टिस केके त्रिपाठी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है. घोटाले की पूरी तरह से जाँच करके रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने की कमेटी को एक महीने की मोहलत मिली है.