Jabalpur : करोड़ों की लागत डूबी, कंगाली की कगार पर पहुंचे सब्जी किसान

मध्यप्रदेश/जबलपुर – कोविट 19 संक्रमण रोकने के नाम पर वाहवाही लूटने वाले स्थानीय प्रशासन को इस बात का एहसास नहीं है कि जिले के किसानों की खून पसीने की कमाई का करीब 33 करोड़ रुपए डूब चुका हैं। सिर्फ उन सब्जियों की लागत है जो फिलहाल खेतों में लगी हैं। प्रशासन से ना उम्मीद हो चुके किसानों ने अब खेतों में जुताई भी शुरू कर दी हैं। किसान अब अपने जन प्रतिनिधियों से भी निराश हो गए हैं।

जिले में ग्रामीण क्षेत्रों की चारो ओर विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों सहित सांसद ने भी उनकी सुध नहीं ले रहे हैं।

केंद्र और राज्य सरकारें बार-बार फरमान जारी कर चुकी हैं कि सुरक्षा के इंतजामों के साथ किसानों के हितों का ध्यान रखा जाए, वही स्थितियां इसके विपरीत हैं। प्रशासन ने लोगों के बीच शारीरिक दूरी बनाने के नाम पर जो भी प्रयोग किए जाता हैं। कोई सफलता नहीं मिली, बल्कि किसानों की बली ही चढ़ रही हैं। 

इन सब का कहना

सब्जियों की लागत न निकलने में बहुत ही परेशान हैं। कम समय होने के कारण मंडियों में माल बिक नहीं रहा। लागत निकालना भी मुश्किल हैं।

विनय कनौजिया, तिलहरी

करीब 15 एकड़ में तरबूज लगा हैं। बड़ी लागत की फसल हैं।  बेचने में परेशानी हुई तो कर्ज में डूब जाएंगे। प्रशासन इस का इंतजाम करे।

प्रमोद कुशवाहा, पड़वार

लागत के साथ बड़ी मेहनत की फसल है भिंडी, फसल निकलने का समय आया तो लॉकडाउन के कारण माल नहीं बिक रहा। फसल की तुड़ाई और परिवहन के खर्चे निकाना भी नामुकिन हो रहा हैं। 

संदीप सोलंकी, जुगतरा

गेंदा और सेवंती के फूल को रौंदना ही पड़ा। अब चिमड़ी और तरबूज निकलने का समय आया हैं। इसको लेकर चिंता हैं। अब इस को कहा बेचे मंडी तो बंद पड़ी हैं। 

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