जबलपुर : कैशियर ही निकला खालसा कॉलेज के इंचार्ज का हत्यारा, यह बड़ी वजह आई सामने
- ऑफिस इंचार्ज गौरव गुप्ता की टीका टिप्पणी से परेशान होकर सहकर्मी ने की थी हत्या
- चाकू से गर्दन पर किए वार, शव को पेटी में डाल कर घर को कर दिया था बंद
द लोकनीति डेस्क जबलपुर
खालसा कॉलेज के ऑफिस इंचार्ज गौरव गुप्ता की हत्या का खुलासा गोरखपुर पुलिस ने कर दिया है हत्यारा और कोई नहीं बल्कि उसके ऑफिस का कैसियर निकला, जिसने निजी टीका टिप्पणी से परेशान होकर गौरव को मौत के घाट उतार दिया। आरोपी ने गौरव की चाकू से हत्या करने के बाद शव को अपने घर में पेटी में बंद करके रख दिया था। पुलिस ने आरोपी के घर से मृतक गौरव का शव बरामद कर हत्या में प्रयुक्त चाकू किया है।
यह था पूरा घटनाक्रम
पंचशील नगर ज्ञान विहार कॉलोनी नर्मदा रोड निवासी गौरव गुप्ता (40) 3 दिसंबर को अपनी एक्टिवा क्रमांक एमपी 20 एसक्यू 9674 से कॉलेज जाने के लिए निकले, लेकिन घर नहीं लौटे। जिस पर उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट गोरखपुर थाने में उनके बड़े भाई ने दर्ज कराई। मामला गंभीर होने पर पुलिस ने गुमशुदा के हुलिए और एक्सेस वाहन के संबंध में खोजबीन शुरू की और सीसीटीवी कैमरे की मदद से फुटेज खंगाले। कॉलेज में काम करने वालों से पूछताछ के दौरान उनके करीबी कैशियर चंदन को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया लेकिन वह थाने नहीं आया। इस बीच जानकारी लगी कि चंदन ने पत्नी से हुए विवाद के चलते फिनायल पी लिया है और अस्पताल में भर्ती है।
मैदान के पास झाड़ियों में मिली लापता गौरव की एक्टिवा और खून से सना बैग
7 दिसंबर को पुलिस को सूचना मिली कि हाऊबाग स्टेशन के पास स्थित मैदान के पंप हाउस की ओर जाने वाली पगडंडी में एक एक्सेस गाड़ी खड़ी हुई है। मौके पर पहुंची पुलिस ने देखा तो एक्सेस गौरव गुप्ता की निकली। पास में ही उसका हेलमेट तथा एक पॉलिथीन के अंदर थैले में एक कंबल रखा हुआ था। गुमशुदा का मफलर, एक जुड़े जूते थैले के अंदर रखे हुए थे। एक पीले रंग का पिट्ठू बैग जिसमें खून लगा हुआ था मौके पर पुलिस ने बरामद किया।
पत्नी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने से था परेशान, सबक सिखाने बनाई योजना
गौरव गुप्ता के कॉलेज के कैशियर शुभम के अस्पताल में डिस्चार्ज होने पर पुलिस ने उससे पूछताछ की तो चंदन ने बताया कि साथ में काम करने वाले गौरव गुप्ता सीनियर एवं ऑफिस इंचार्ज होने के नाते व्यवसायिक कार्यो में डांटने के अलावा व्यक्तिगत जीवन को लेकर टिप्पणियां करते थे। उसने प्रेम विवाह किया था और गौरव उनकी पत्नी पर आपत्तिजनक टिप्पणियां आए दिन करता था, जिससे वह बहुत आहत था। सबक सिखाने के लिए उसने योजना बनाई और 3 दिसंबर को किराए पर लिए हुए द्वारका प्रसाद स्थित फ्लैट ए-3 को दिखाने के लिए गौरव गुप्ता को बुलाया। गौरव के आते ही उसने दरवाजा बंद कर लिया और अंदर वाले कमरे में ले जाकर गौरव को दो-तीन थप्पड़ मारे और जोर से धक्का दे दिया। गौरव को धक्का देने से वह दीवाल से टकराकर गिर गया और गिरते ही बैग में रखा चाकू निकालकर गर्दन से गौरव पर वार कर दिए, जिससे गौरव की मौके पर ही मृत्यु हो गई। गौरव को मृत अवस्था में छोड़कर वह काले चला गया और कॉलेज के बाद रांझी स्थित अपने घर। दूसरे दिन सुबह किराए फ्लैट के फ्लैट पर पहुंचा और मृत अवस्था में पड़े गौरव गुप्ता को रस्सी से बांधकर कमरे की धुलाई और कंबल को पोंछ दिया। रद्दी चौकी जाकर एक टीम की पेटी खरीद कर गौरव गुप्ता के शव को पेटी में डाल कर रांझी चला गया।
घटना और पूछताछ और टेंशन के कारण पी लिया फिनाइल
पुलिस द्वारा की जा रही पूछताछ के डर से वह कॉलेज नहीं गया और शव को ठिकाने लगाने के लिए हाऊबाग स्टेशन की तरफ गया और घटना को लेकर उपजे टेंशन के कारण उसने दुकान से फिनाइल खरीद कर थोड़ा सा पी लिया। शेष बचा फैलाई झाड़ियों में फेंक दिया फिनाइल पीने के बाद आत्महत्या करने का सोच कर भेड़ाघाट और लम्हेटा घाट गया, जहां से मन बदलने पर वापस किराए वाले फ्लैट पर पहुंचा और खून लगा कंबल, गौरव गुप्ता के जूते, मफलर, पिट्ठू बैग आदि लेकर एक्सेस में हावड़ा के स्टेशन मैदान में जाकर छोड़ दिया।
उल्लेखनीय भूमिका- अंधी हत्या का खुलासा कर थाना प्रभारी गोरखपुर सारिका पाण्डे, उप निरीक्षक सुमित मिश्रा, सहायक उप निरीक्षक रमाकांत द्विवेदी सहायक उप निरीक्षक बी.आर. चैधरी, आरक्षक संतोष जाट, रत्नेश राय की सराहनीय भूमिका रही।