शिशु मृत्यु दर : देश नहीं बल्कि विश्व मानक में भी "MP" की स्थिति 150 देशों से ज्यादा खराब, देखें आकड़े

भोपाल/खाईद जौहर : केंद्र सरकार द्वारा जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) बुलेटिन के अनुसार शिशु मृत्यु दर (0 से 1 साल) के मामले मध्यप्रदेश की स्थिति भारत में सबसे ज्यादा खराब है। मध्यप्रदेश में शहरों की तुलना में शिशु मृत्यु दर ज्यादा है। शहरी क्षेत्र में 32 संख्या है, जबकि गांवों में प्रति हजार पर 50 की संख्या है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2014 में आई एमआर 52 थी, जो कि 6 साल में 46 तक आ गई। इसके पहले वर्ष 2009 में 67 रही थी। दूसरे राज्यों की तुलना में सुधार काफी कम हो सका है। 

यहां आज भी हर 1000 में से 46 बच्चे एक साल की आयु से पहले दम तोड़ देते हैं। यह हालात तब, जबकि 2018 की तुलना में स्थिति कुछ संभली भी है। 2020 में शिशु मृृत्यु दर 48 थी। एसआरएस की 2020 की इस रिपोर्ट में रेफरेंस ईयर 2018 का था और हाल ही में आई 2021 की इस रिपोर्ट में 2019 के आंकड़े लिए गए हैं। 

बता दे कि यह न केवल देश का सबसे कमजोर प्रदर्शन है, बल्कि विश्व मानक में भी मध्यप्रदेश की स्थिति 150 देशों से भी ज्यादा खराब है। वहीं, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र सभी अच्छी स्थिति में है। इन राज्यों में शिशु मृत्यु दर पर काफी अंकुश लग पाया है। केरल तो इतना अव्वल है कि वहां एक हजार शिशुओं में केवल 6 की मौत होती है।

इधर, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री  डॉ. प्रभुराम चौधरी का कहना है कि शिशु रोग विशेषज्ञों की कमी दूर करने के लिए 25 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरे जाने की मंजूरी कैबिनेट से हो गई है। हम शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। शादी के बाद ही प्रसूता का रजिस्ट्रेशन हो, चैकअप हो, बच्चे के जन्म तक मॉनिटरिंग हो। ताकि समय पर उचित इलाज दिया जा सके। 

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