जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति को लूभा गया था पचमढ़ी.. ।
अपने कार्यकाल के दौरान लंबे समय तक पचमढ़ी में वक्त बिताते थे
महामहिम डॉ राजेंद्र प्रसाद ।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के 135 वे जन्मदिवस पर विशेष-
हर्षित शर्मा। मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की पिपरिया से 55 किलोमीटर दूर स्थित सतपुड़ा की खूबसूरत पर्वत मालाओं से सजा छोटा सा हिल स्टेशन पचमढ़ी जो भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को खासा लुभाता था। डॉक्टर प्रसाद को पचमढ़ी इतना भाया कि वह कई बार यहां आए।
डॉक्टर प्रसाद को निमोनिया की बीमारी थी जिसके कारण डॉक्टरों ने उन्हें कम तापमान वाले शहर में रहने की सलाह दी थी जिसके बाद पहली बार डॉ प्रसाद 8 मई 1953 को पचमढ़ी पहुंचे थे यहां वह कई हफ्तों तक रहे जिसके बाद उनके स्वास्थ्य में भी सुधार आया ।
उसके बाद कई बार उन्होंने पचमढ़ी आकर सतपुड़ा की वादियों का लुफ्त उठाया।
This photo of Rajendragiri Sunset Point is courtesy of TripAdvisor
पचमढ़ी के आम की क्राउनिंग से प्रभावित हुए थे डॉ प्रसाद बिहार के कृषि मंत्री को लिखा था खत
अपने प्रवास के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद पचमढ़ी के आम के पेड़ों की क्राउनिंग पद्धति से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने बिहार के तत्कालीन कृषि मंत्री अनुभव नारायण सिन्हा को खत लिख कर बिहार में भी इस पद्धति को लागू करने के लिए खत लिख दिया ..
क्या लिखा था खत में देखिए फोटो में
पचमढ़ी मैं रहते हुए अपनी पोती की शादी की तैयारियों की पूरी जानकारी ले रहे थे
- डॉ प्रसाद की पोती की शादी की तैयारियां बड़े जोरों शोरों से बिहार मैं उनके गांव में चल रही थी अपने स्वास्थ्य कारणों से पचमढ़ी में छुट्टियां बिता रहे डॉ प्रसाद चिट्ठियों के माध्यम से लगातार अपनी पोती की शादी की तैयारियों की जानकारी ले रहे थे उनके खत बड़े रोचक थे पढ़िए यहां
डॉ प्रसाद ने पचमढ़ी में लगाया था बरगद का पौधा।
डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने पचमढ़ी के ऊंचे पर्वत पर उद्यान में बरगद पौधा भी रोपा था जो आज एक बड़ा वृक्ष बन चुका है। जिस्ले बाद से इस स्थान का नाम राजेंद्रगिरी उद्यान पड़ गया। राजेन्द्र गिरी उद्यान में सूर्यास्त के समय हजारो पर्यटको की भीड़ प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने पहुँचते है।