अगर हमारी मांगे नहीं हुई पूरी तो पूरे देश में रेल पटरियां कर देंगे अवरुद्ध, दर्ज हुई किसानों पर FIR 

नई दिल्ली – केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 15 दिनों से जारी हैं। किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले। वहीं, सरकार संशोधन के लिए तैयार है. सरकार का साफ कहना है कि वो तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी। दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हैं, जिसके कारण टकराव बढ़ता जा रहा हैं। सरकार की ओर से किसानों को समझाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन किसान अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं 

इसी बीच गुरुवार को किसानों ने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो वे रेल पटरियां अवरुद्ध कर देंगे। हम इसकी तारीख तय कर जल्द ही घोषणा करेंगे। रेल पटिरियां सिर्फ पंजाब और हरियाणा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अवरुद्ध की जाएंगी। 

एक अन्य किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘‘केन्द्र ने स्वीकार किया है कि कानून व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं. अगर कृषि राज्य का विषय है तो, केन्द्र को उसपर कानून बनाने का अधिकार नहीं हैं। ’’हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर प्रदर्शन करते हुए नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। 

इतना ही नहीं मीडिया से बातचीत में किसान संघों ने कहा कि वे विरोध-प्रदर्शन को तेज करेंगे और राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने वाले सभी राजमार्गों को जाम करना शुरू करेंगे। 

वहीं, सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज की हैं। किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया हैं। किसान 29 नवंबर को लामपुर बॉर्डर से जबरन दिल्ली की सीमा में घुस आए थे और सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठ गए थे। वे रोड को ब्लॉक करके बैठे हैं। किसानों के खिलाफ एफआईआर 7 दिसंबर को अलीपुर थाने में दर्ज की गई। 

इधर, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को समझाया कि जो कानून बने हैं वो उनके हक में हैं और अगर कोई समस्या है तो सरकार उस पर विचार के लिए तैयार हैं। कृषि मंत्री ने किसानों से प्रस्तावों पर फिर से विचार करने की अपील की। बता दे कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों के विरोध के कारण जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए किसानों से बातचीत के बाद उन्हें संधोशन से जुड़े प्रस्ताव का एक मसौदा भेजा हैं। 

Exit mobile version