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राजधानी में साँची दुग्ध उत्पाद के बहाने जनता को कब से पिलाया जा रहा यूरिया ? जिम्मेदारों पर कब होगी कार्यवाही ?

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार व संपूर्ण प्रशासनिक अमला मिलावट के खिलाफ युद्ध में जुट गया है। जिसमें इनका साफ तौर पर यह कहना है कि हम प्रदेश से माफिया और मिलावट को पूरी तरह समाप्त कर देंगे। परंतु वहीँ दूसरी तरफ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का सबसे पुराना उपक्रम माना जाने वाला सांची दूध में यूरिया की मिलावट की जब खबरें सामने आना शुरू हुई तो सरकार की रातों की नींद मानों एकदम से हराम सी हो गई। सरकार को यह समझ में नहीं आया कि अब इसका जवाब क्या दिया जाए। क्योंकि मामला है ही इतना बड़ा, जिस सांची दूध को हम परिपक्व, शुद्ध व तमाम मानकों पर खरा समझकर उसका रोज उपयोग करते हैं उसमें भला किसी तरह की क्या त्रुटि हो सकती है ?
यदि आप भोपाल के लोगों से इस बारे में सवाल करेंगे तो वह यही जवाब देते हैं कि भाई हम सांची दूध का उपयोग ही इसलिए करते थे क्योंकि यह सरकारी है अर्थात इसका मेंटर राज्य सरकार होता है या यह राज्य सरकार का एक उपक्रम है। जो कि विश्वास पूर्ण भी है। किंतु जब इस बात का पता चला कि इस दूध में यूरिया मिलाकर इसकी गलत तरह से आपूर्ति भी कथित तौर पर की जा रही है और जब बाद में इसी घटनाक्रम में पकड़े गए ड्राइवर ने इस बात का भी खुलासा किया कि, दूध के टैंकर की नॉब पर संघ के अधिकारी ध्यान नहीं देते थे। यानी कि वह साफ तौर पर यह कह रहा है कि टैंकर के खुले हुए नॉब पर  अधिकारी ज़्यादा ध्यान नहीं देते थे अर्थात उसे नज़रअंदाज़ कर देते थे। अब यहीं बात अधिकारियों की मंशा पर भी बड़े सवाल खड़े करती है ? और इस ओर भी इशारा करती है कि यह काला खेल कब से चल रहा था और कितने वर्षों से राजधानी वासियों को यूरिया मिला हुआ दूध पिलाया जा रहा था। आप इसे इस तरीके से भी समझिए की जहां एक ओर प्रदेश में किसानों को उनकी फसल के लिए यूरिया नहीं मिल पा रहा था वहीँ दूसरी तरफ दूध में मिला हुआ यूरिया आपको पिलाया जा रह हैं।
यह दो अलग-अलग घटनाएं हैं। लेकिन इसे एक संदर्भ में समझिए कि यह सफेद यूरिया जो कि विषैला रसायन होता है जिसका इस्तेमाल किसान अपनी फसल के उत्पादन के लिए खेत में करते हैं। वह आपको दूध के माध्यम से पिलाया जा रहा है अब कितने महीने से आप इसका सेवन कर रहे हैं या यह भी हो सकता है की वर्षों से कर रहे हैं। इसका जवाब देने में सांची दुग्ध उत्पादक संघ बच रहा है,साथ ही साथ अधिकारी भी किन्ही प्रश्नों के उत्तर नहीं दे रहे हैं , जो कि पूरे घटनाक्रम में शायद शामिल थे। क्योंकि जब मंत्री लाखन सिंह यादव यह कह रहे हैं कि हमारी लैब में दूध में यूरिया नहीं पाया गया तो इस बात का जवाब भी देना चाहिए कि इतने समय से जो यह पूरा खेल चल रहा था उसकी लैब में जांच हुई अथवा नहीं हुई क्योंकि करोड़ों की मशीन है जो कि लगाई गई है वह जांच में क्यों नहीं बता पा रही है ? कि दूध में यूरिया मिलाया जा रहा था अथवा नहीं। या मिलाया जा रहा था तो कबसे मिलाया जा रहा था। यह वो बड़े सवाल हैं जिसका जवाब आज हम साँची दुग्ध उत्पादक संघ से मांगते हैं।
यानी कि यह पूरा का पूरा गेम बकायदा अधिकारियों की शह पर ही खेला जा रहा था और अब जब मामला खुल चुका है तब अधिकारी कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आ रहे हैं यह घालमेल का खेल ऐसा हो चुका है कि सब कुछ बेनकाब होने की डर से अधिकारियों ने बिलकुल चुपचाप और एक ऐसी चुप्पी साध ली   हैं जिसमें सच का गला पूरी तरह से घोट दिया गया है।आइए अब हम आपको बताते हैं कि इस मामले में सरकार व विपक्ष का क्या कहना है।
मध्य प्रदेश के पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव का इस मामलें में यह कहना हैं की दूध का कलेक्शन सब जगह से होता रहता है ,यह बात सही है कि सांची के लिए आ रहा था किंतु हमारे कैंपस में नहीं आया था। उसमें मुझे फर्स्ट जानकारी यह मिली थी कि दूध में यूरिया मिलाया जा रहा है लेकिन लैब की रिपोर्ट में दूध में यूरिया नहीं आया है।उसके बावजूद जो भी अधिकारी उसमें दोषी पाए गए उन पर जांच एवं कार्यवाही होगी इस संबंध में हमने 2 अधिकारियों को सस्पेंड भी कर दिया है और जांच भी करवा रहे हैं जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी यह कहना है
जबकि भाजपा के प्रवक्ता राहुल कोठारी ने सरकार को इस मामले में आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि अभी तक इस मामले में छोटे वर्ग के कर्मचारियों व ड्राइवर पर ही बड़ी कार्यवाही क्यों की जा रही है बड़े अधिकारियों पर कार्यवाही ना करना इसलिए भी है कि यह कांग्रेस से जुड़े हुए लोग हैं इसीलिए सरकार इनके ऊपर कार्यवाही करने से बच रही है जो कि सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है यह कहना है भाजपा के प्रवक्ता राहुल कोठारी का।

 

 

 

 

चलिए यह बात तो हुई भाजपा और कांग्रेस  के आपसी बीच बयानों की ,लेकिन हमारा सबसे बड़ा सवाल यही है कि जनता को मिलावटी दूध का सेवन कब से कराया जा रहा था ?इसका जवाब कौन देगा ?स्वयं मुख्यमंत्री कमलनाथ जी अगर जनता के शुद्ध के लिए युद्ध और मिलावट के खिलाफ युद्ध जैसे बड़े-बड़े स्लोगन को सिद्ध करना चाहते हैं तो तत्काल प्रभाव से सांची के दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं करते ?और इस बात का खुलासा क्यों नहीं होता कि यूरिया वाला दूध कब से भोपाल के लोगों को पिलाया जा रहा था इसी तरह की बेबाक पत्रकारिता के लिए सदा जुड़े रहिए द लोकनीति के साथ।

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